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भगवान सचिन ने बटोरी टीआरपी!

- प्रमोद ताम्बट

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बाईस गज की दूरी से धीमी, मध्यम अथवा तेज गति से फेंकी जा रही किसी गोल वस्तु को मुंगरी सदृश्य किसी काष्ठ पट्टिका से पीट-पीटकर, परस्पर आमने-सामने स्थित तीन गिल्लीधारी काष्ठ स्तंभों के मध्य त्वरित दौड़ लगाकर अथवा काष्ठ पट्टिका के शक्तिशाली प्रहार से उस गोल वस्तु को निरंतर मैदान की सीमा के पार पहुंचाकर अपने नाम के आगे संख्यांकों का अंबार लगा लेना मानव जाति के लिए कितनी महान और महत्वपूर्ण गतिविधि है, यह हमें हाल ही में पता चला है, जब एक गबरू नौजवान, जिसके सामने पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनने की बाध्यता कभी नहीं रही, चमड़े के एक ठोस गोले को पीट-पीटकर एक महान विभूति, इतिहास पुरुष यहां तक की 'भगवान' की श्रेणी में पहुंच गया।

आम भारतीयों की तरह ही लघु कद के इस नौजवान ने भागभागम के पांच सौ शतकों का लंबा-चौड़ा कीर्तिमान रचकर देश और दुनिया में 'महानता' हासिल करने के लिए किए जा रहे दूसरे तमाम भगीरथ प्रयासों को ठेंगा दिखा दिया है।

देखा जाए तो बरसों-बरस से लोग भांति-भांति की चीजों को पीट रहे हैं और पचासों स्तंभों के मध्य दौड़ लगा रहे हैं परंतु पूछताछ की जाए तो उनके अपने घर वाले तक उन्हें 'महान' मानने से साफ इंकार कर दें, इतिहास पुरुष और भगवान मानना तो बहुत ही दूर की बात है। मसलन साहित्य के क्षेत्र में ही ले लें, हम सब जाने ऐसे कितने कवियों को जानते होंगे जिन्होंने कविताओं के जाने कितने सैकड़े जड़े होंगे और दिन-प्रतिदिन जड़ते ही जा रहे होंगे परंतु उनका पड़ोसी तक उन्हें ठीक से पहचानता होगा, मुझे शक है।

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न जाने कितने कहानीकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार कागज काले कर-करके काल-कवलित हो गए, हो रहे हैं और आगे भी होंगे। उनमें से कुछ लोगों को 'महान' भी कहा जाएगा, परंतु उनकी आदमकद फोटो कभी भी अखबारों के मुख्यपृष्ठ पर फुल साइज में न तो छपी होगी, न छपेगी।

साहित्यकार क्या! किसी भी क्षेत्र का कितना भी बड़ा रथी-महारथी हो, डॉक्टर हो, इंजीनियर हो, मास्टर हो, लेक्चरर हो, प्रोफेसर हो, वैज्ञानिक हो, दुनिया के दूसरे किसी खेल का कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो, नेता हो, अभिनेता हो, अपने-अपने क्षेत्र में इन्होंने कितनी भी तीरंदाजी की हो, मगर मजाल है जो कोई भी माई का लाल 'भगवान' सचिन तेंडुलकर से ज्यादा टीआरपी बटोर पाया हो।

मजदूरों ने लाख भवन-सड़क तामीर कर दिए हों, कल-कारखानों से इफरात उत्पादन बाहर कर दिया हो, किसानों ने मनों-टनों अनाज देश को खिला दिया हो, अफसरों, बाबुओं, चपरासियों ने करोड़ों फाइलें इधर से उधर कर दी हों, फौजियों ने लाख देश सेवा की हो, देशप्रेमियों ने देशप्रेम के तमाम रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हों, मगर बंधुओं, भगवान सचिन तेंडुलकर से ज्यादा बड़ा काम न तो दुनिया में किसी ने कभी किया है, न भविष्य में कोई कर पाएगा।

इसलिए आइए, सब मिलकर बोलें, भगवान सचिन तेंडुलकर की जय हो।

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