होली बीते दिन हुए, अब क्यों मले गुलाल।
मारेगी ताना सखी, देख गुलाबी गाल ॥
सैंया ने रंग दियो, बिना रंग के होली में ।
हो गई मैं तो लाल-गुलाबी, रात की ठिठोली में ॥
हौले-हौले क्या बोले तू, मस्ती भरी इस होली में ।
पकड़ी कलाई अब ना छोड़ूं, भीगे दामन चोली में ॥
धक्-धक् मेरा दिल धड़के, उड़ता फिरूं आकाश में ।
फर-फर उड़े चुनरिया तेरी, होली की भागमभाग में ॥