मौत निठल्ली खड़ी-खड़ी,
हमको खूब समझाती है।
क्या जाएगा साथ तुम्हारे,
कर्मों की कथा सुनाती है।।
जान-बूझ जो गलत किया,
वे दृश्य दिखाई देते हैं।
बुरे कर्म का यही नतीजा,
कान मेरे सुन लेते हैं।।
दो गज कफन तुम्हें मिलेंगे,
ओ खिल्ली मेरी उड़ाती है।
माया-मोह में पाप किया जो,
दूसरों के हक को खाया हूं।
जीव-जंतु की हत्या करके,
तुमसे लड़ने मैं आया हूं।।
प्राण-पखेरू लेकर मेरा,
हमको सबक सिखाती है।।