संयोग कहे या कर्मों का फल। रहा विजेता हुआ सफल। पहचान अनोखी बन चुकी है। चमकेगा अब मेरा कल। अभिमान नहीं स्वाभिमानी हूं। करता नहीं हूं उथल-पुथल। आनंद संग मैं उत्सव करता। लोगों से मिलता है बल। ऐसी और खबरें तुरंत पाने के लिए वेबदुनिया को फेसबुक https://www.facebook.com/webduniahindi पर लाइक और ट्विटर https://twitter.com/WebduniaHindi पर फॉलो करें।