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हिन्दी कविता : चमकेगा मेरा कल...

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शम्भू नाथ

संयोग कहे या कर्मों का फल।
 
रहा विजेता हुआ सफल।


 
पहचान अनोखी बन चुकी है।

चमकेगा अब मेरा कल।
 
अभिमान नहीं स्वाभिमानी हूं।

करता नहीं हूं उथल-पुथल।
 
आनंद संग मैं उत्सव करता।

लोगों से मिलता है बल।


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