यह भारतीय क्रिकेट टीम का प्रायश्चित पर्व है। हम क्षमायाचना के मूड में हैं। बहुत हो चुका जय-विजय का जश्न! बहुत हो चुकी हमारी दादागिरी। पहले वनडे, फिर टी-20 और फिर टेस्ट क्रिकेट में। बस अब और नहीं! हम अपने इस व्यवहार के लिए वाकई शर्मिंदा हैं।
अभी-अभी हमने इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज में 4-0 से पराजित होकर पहला प्रायश्चित किया है। प्रयास करेंगे कि इसी बार वनडे सीरीज में भी प्रायश्चित कर लें। पिछले कुछ वर्षों में हमने कई टीमों को पराजित कर अपमानित किया है। हमें उन सभी से क्षमायाचना करनी है। आखिर कब तक हम क्रिकेट में सिरमौर रहकर खेल भावना का इस तरह अपमान करते रहेंगे?
हमारे सिवा दुनिया में और भी देश हैं, जहां क्रिकेट खेला जाता है। उनकी भी टीम है, खिलाड़ी हैं। उनको भी आखिर जीतने का अधिकार मिलना चाहिए। उनका भी करियर है, परिवार है। उनके परिवार आखिर कब गर्व करेंगे।
कई देशों के खेल प्रेमी हमारी ओर आशा भरी टकटकी लगाए देख रहे हैं कि कब हमारी विजय-भूख खत्म हो और कब हम पराजित होकर अपने बड़प्पन का परिचय दें ताकि वे भी जान सकें कि विजय क्या होती है?
लगातार जीत के नशे में हम भूल ही गए थे कि हम मनुष्य पहले हैं और खिलाड़ी बाद में। और मनुष्यता का तकाजा यह है कि हम किसी दूसरे मनुष्य की भावनाओं को आहत नहीं करें। फिर यदि वह मनुष्य दूसरे देश का हो तो यह अंतरराष्ट्रीय प्रेम और सद्भाव के विरुद्ध है। इस बार इंग्लैंड में हमारे सभी खिलाड़ियों ने खेल भावना के मर्म को समझा और प्रायश्चित किया। केवल राहुल द्रविड़ यहां भी दीवार बन कर खड़े रहे। द्रविड़ के व्यवहार से पूरी टीम दुखी और निराश है।
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हम जानते हैं कि दूसरे देश भी अपने खिलाड़ियों का सम्मान करने के लिए बेताब हैं। हम चाहते हैं उन्हें भी सम्मान प्राप्त हो। हम चाहते हैं कि जिस-जिस देश की टीम को हमने पराजित किया है, अब उनसे पराजित होकर प्रायश्चित करें। हम प्रायश्चित के मूड में हैं।
सिकंदर भी विश्व-विजेता बनने यूनान से निकला था पर भारत में पौरस के प्रभाव से उसका हृदय परिवर्तन हुआ और वह बैरंग वापस चला गया। हम भी भारत से विश्व-विजेता का खिताब कायम रखने के लिए इंग्लैंड पहुंचे थे।
हमारा भी हृदय परिवर्तन हुआ और हम खिताब उन्हें दे आए। सिकंदर ने वसीयत में लिखा था कि उसकी शवयात्रा में उसके हाथ ताबूत के बाहर रखे जाएं ताकि लोग जान लें कि विश्व-विजेता दुनिया से खाली हाथ जा रहा है। हम भी जानते हैं कि उस समय हमारे हाथ में भी न कोई कप होगा, न ट्रॉफी! इसलिए अब हमने प्रायश्चित अभियान शुरू किया है। ईश्वर हमारा अभियान सफल करें।