चंद नेताओं, अफसरों, बड़े उद्योगपतियों को ही क्यों घपलों-घटालों का पुण्य-लाभ मिलता रहे। आम आदमी के हाथ वाली सरकार ने इन्हें नहीं रोक पाने के लिए पहले ही हाथ टेक दिए हैं। अब करना यह चाहिए कि आम आदमी को खुश करने के लिए इन्हें फ्री फॉर ऑल कर देना चाहिए। किसी को शिकायत नहीं होगी कि हमें कुछ भी नहीं मिला।
घोटाले तो धरती पर पड़ी शमशीर की तरह है, जिसमें शक्ति हो वह उठा ले और चला ले। इससे समाजवाद की भावना भी पैदा होगी और अवसर की समानता भी। संसद में शीघ्र नए एक्ट बनाकर भ्रष्टाचार को वैध बनाने का कानून बनाना चाहिए।
इससे यह होगा कि सरकारी वेतन भत्ते भी बंद होंगे और कालाधन सफेद हो जाएगा, केवल घोटालों की आय का कुछ प्रतिशत सरकारी कोषालय में जमा करवा दें। इससे बेचारे कलमाडी, चव्हाण और राजा-येदियुरप्पा मुन्नी बाई की तरह मुफ्त बदनाम नहीं होंगे। हमें भी इसमें हाथ धोने का स्वर्ण अवसर मिल जाएगा। हमारा दारिद्र्य दूर होगा।
अकेले डकारना पूंजीवाद है। थोड़ा काला धन सबमें बंटे यह समाजवाद है। खाओ और खाने दो, सत्यमेव जयते के स्थान पर हमारा आदर्श हो सकता है।
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इसके लिए हमें भोगियों के इस राज को समाप्त करना होगा। बाबा रामदेव के नेतृत्व में योगियों का राज स्थापित करना होगा। इसमें कष्ट यह है कि भारत में इतने ईमानदार और भोगी शेष बचे ही नहीं हैं कि वे चुनाव लड़कर जीत जाएं।
बाबा की पार्टी क्या बांटेगी चुनावों में, लौकी के जूस और खड़ाऊं से तो काम चलने वाला नहीं है। भोगी पार्टी वाले रंगीन टीवी से लेकर पव्वे-अद्धे एवं अब तो लैपटॉप बांटने की तैयारी कर रहे हैं। हां, बाबा की पार्टी वाले यादि शक्ति-वर्द्धक चूर्ण या शिव बूटी की व्यवस्था भी कर सके तो कुछ वोट मिल सकते हैं।
योगी पार्टी जीत गई तो सबके वारे-न्यारे। बाबा स्वयं स्विट्जरलैंड जाकर बैंक अफसरों को योग सिखाएंगे। जैसे ही वे अनुलोम-विलोम के चक्कर में फंसे कि उधर का माल इधर आ जाएगा। हां, कुछ चालाक अफसर यदि इस चक्कर में नहीं फंसे तो उनके लिए बाबा की चोलियां काफी हैं। वे अपनी सुदर्शना देह से जो शीर्षासन करवाएंगी कि भारत का अरबों का काला धन हमारी अंटी में होगा।
इसके बाद इस धन को सारे नागरिकों में बांट दिया जाएगा। न भ्रष्टाचार रहेगा न घपलेबाजी होगी और न घोटाले सुनने को मिलेंगे। भूख-प्यास लगने पर संजीवनी बूटी पर्याप्त होगी। ब्रह्मचर्य पालन आनिवार्य होगा इसीलिए जनसंख्या भी नहीं बढ़ेगी। अनाज भी नहीं घटेगा।
बाबा की पार्टी को चुनाव न जीतने देने के लिए जरूरी है कि सरकार अगले सत्र में ही घपले-घोटाले का फ्री फॉर ऑल एक्ट संसद में प्रस्तुत कर दें।'