FILE |
झूठ-फरेब के आसन पर जो, बैठि करे सब करतब न्यारो।
बालक जानि छमा करिहौ, मन-दुविधा-बाधा-सोक निवारो।
सोवत जागत याहि जपै, अध निद्रा में यह बैन उचारो।।
को नहिं जानत कुरसी मैया,
संकटमोचन नाम तिहारो।।
FILE |
फक्कड़-दिक्कड़ दोउ तरे, जग में सबको तुम पार उतारो।
चरणामृत तुम्हरो ही लेकर, अंधियारे में भयो उजारो।
कामधेनु तुम कुरसी मैया, छपर फाड़ घर भरो हमारो।।
को नहिं जानत कुरसी मैया,
संकटमोचन नाम तिहारो।।
FILE |
धाकड़ नेता, दल-बदलू की, मांगैं, माता कबहु न टारो।
बिन तुम्हरे कौन सहाय इन्हें, निज मानस में यह सोच विचारो।
आंख मूंद सब ऐब छिपाओ, जीवन इनको तुमहिं संवारो।।
को नहिं जानत कुरसी मैया,
संकटमोचन नाम तिहारो।।
FILE |
जब जन-गन-मन फरियाद करें, तब कान में उंगरी फौरन डारो।
अपनन को रेवड़ी बांटि-बांटि, माटी के माधव को उद्धारो।
जब सरबस तुमको सौंप दियो, तब कीच-कुआं से तुमहिं उबारो।।
को नहिं जानत कुरसी मैया,
संकटमोचन नाम तिहारो।।
FILE |
जा पर वक्र दृष्टि से तुम्हरी, जीते जी वह नरक सिधारो।
निशिदिन तुम्हरे पांव पखारे, भयो तुम्हारी आंख को तारो।
जय जननी, जय जगत भवानी, बिन तुम्हरे अब कौन हमारो।
को नहिं जानत कुरसी मैया,
संकटमोचन नाम तिहारो।।
FILE |
सब बंधन काटि असीस दियो, भौतिक सुख-अंगना में तुम डारो।
पेट तुम्हारो रत्नाकर है, भूले से ना कबहुं डकारो।
छली-प्रपंची, अवसरवादी, सेवक जानि उन्हें उद्धारो।।
को नहिं जानत कुरसी मैया,
संकटमोचन नाम तिहारो।।
FILE |
साम-दाम अरु दण्ड-भेद की ले बैसाखी बंटा ढारो।
कुछ लोगन को धूरि चटाओ, बिन कपूर लोगन को मारो।
जब बैरी कबहुं विरोध करे, महिरावण जान उन्हें संहारो।
को नहिं जानत कुरसी मैया,
संकटमोचन नाम तिहारो।।
FILE |
सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग, मान सदा तुम्हरो ही न्यारो।
तुम्हरे कारण गदर भये हैं, दुनिया तुमको कहे हमारो।
शक्ति-स्वरूपा, जय कल्याणी, औघड़ दानी, संकट टारो।।
को नहिं जानत कुरसी मैया,
संकटमोचन नाम तिहारो।।
सतरंगी आभा सजै, भव्य विराट स्वरूप।
कृपा दृष्टि हो आपकी, नहीं सतावै धूप।।
इति संकट मोचन 'कुरसी अष्टक' सम्पूर्णम्