संत वेलेंटाइन ने कहा था कि 'प्राणी मात्र से प्रेम करो तथा प्रेम का संदेश हर ओर फैलाओ।' मैंने उनकी बात को जीवन में उतार कर एक महिला पर प्रेम का पासा फेंका तो वह निशाने पर लगा। उसी ने कहा, तुमने ठीक किया। मैं खुद प्रेम की प्यासी हूं। वेलेंटाइंस डे भी नजदीक है। क्यों नहीं हम प्रेम की डोर को इतनी मजबूती से बांधे कि यह अटूट बंधन में बदल जाए। मैं निहाल हो गया। अंधे को क्या चाहिए, दो नैन।
मैंने कहा, 'प्रेम के मामले में मेरा अपना फलसफा है। तुम्हें वह स्वीकार हो तो मैं पींग आगे बढ़ाऊं।' महिला फलसफे की बात पर पसोपेश में पड़ गई, बोली, 'प्रेम में फलसफे की क्या बात है? प्रेम तो करने के लिए होता है। यदि तुम्हारा प्रेम सशर्त है तो मैं पुनर्विचार करूं? मैंने दर्शनशास्त्र में एम.ए. किया है, लेकिन प्रेम का दर्शन वहां भी व्याख्यायित नहीं है।'
मैं बोला, 'जिसकी व्याख्या नहीं हुई हो, उसकी व्याख्या हम कर लेते हैं। मेरा मतलब प्रेम में 'नीट एंड क्लीन' जैसी कोई बात मैं नहीं निभा पाऊंगा। मेरा मतलब मैं निराकार से प्रेम नहीं कर सकता और देह की उपस्थिति उसमें मैं अनिवार्य मानता हूं। तुम्हारी राय जानना चाहता हूं, यही मेरा प्रेम का फलसफा भी है।'
वह मेरी बात पर हौले से हंसी और बोली, 'नादान की दोस्ती और जी का जंजाल' कहावत तो तुमने सुनी होगी। तुमने इतनी अपरिपक्व बात की है कि मेरी समझ में कुछ आ नहीं रहा। साफ बात है प्रेम में 'नीट एंड क्लीन' जैसा निर्वाह अब देखने को मिलता कहां है? यह मेरे कहने की बात नहीं है, परंतु मुझे कहनी पड़ रही है कि यदि तुमने आगे इस तरह की नादानी की तो हमारे बीच प्रेम व्यवहार नहीं चल पाएगा।'
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मुझे काटो तो खून नहीं। वाकई मैंने नादानीपूर्ण बात कर दी थी। मारे शर्म के मेरा सिर नीचा हो गया तो उसने फिर कहा, 'अब छोड़ो, जो हो गया सो हो गया। आगे की सोचो। सुबह का भूला शाम को घर लौट आता है तो वह भूला नहीं माना जाता। तुम्हें अपना हौसला कायम रखना चाहिए तथा 'नीट एंड क्लीन' अथवा निराकार-निर्गुण प्रेम का चक्कर अपने दिमाग से निकाल देना चाहिए। तुम्हारे शौर्य की घड़ी कोई ज्यादा दूर नहीं है। वेलेंटाइंस डे हमारे मध्य की दूरियां समाप्त कर देगा।'
मैंने धीरे-धीरे अपनी आंखें उठाईं और कहा, 'दरअसल, जल्दबाजी में मैं, सही नहीं बोल पाया, उसका मुझे हार्दिक खेद है। प्रेम का मतलब ही यही होता है जो तुमने व्याख्यायित किया है। सच है कि मैं इस मामले अनाड़ी रहा। वैसे अनाड़ी की प्रेम कथा होती भी ऐसी ही है। तुमने मेरी आंखें खोल दी हैं और मेरी ओर से अब शिकायत का कोई मौका नहीं आएगा।'
उसने हंसकर 'बाय' कहा और चली गई और मैं उस दिन के बाद से 'वेलेंटाइंस डे' का बेसब्री से इंतजार करने लगा, क्योंकि प्रेम का ज्ञान मुझे भी प्राप्त हो गया था।