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सर्वगुण संपन्न कैमरे - भाग 1

फोटोकीना मेला में आए आकर्षक कैमरे

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राम यादव

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आपके पास चाहे जैसा कैमरा है- स्थिर फोटो या वीडियो कैमरा, शौकिया या व्यावसायिक- और वह चाहे जितना नया है, यदि आपने जर्मनी में कोलोन का फोटोकीना मेला देखा होता, तो यही कहते कि यह अब पुराना पड़ गया है। हर दो साल में लगने वाला यह मेला फोटोग्राफी उद्योग का संसार का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली दिशासूचक मेला माना जाता है।

शौकिया और व्यावसायिक फोटो तकनीक की भावी दिशा क्या होगी, इसे बताने के लिए इस बार इस मेले में आई थीं 45 देशों की 1300 से अधिक कंपनियाँ और फर्में। 21 से 26 सितंबर तक चले इस मेले को देखने आए देश-विदेश के डेढ़ लाख से अधिक दर्शक।

मेले को देखने और विशेषज्ञों की बातें सुनने से यही आभास मिलता है कि फोटोग्राफ़ी की दुनिया एक बार फिर नई क्रांति की ड्योढ़ी पर खड़ी है। काले-सफेद चित्रों वाली आरंभिक फोटोग्राफी के बाद 1940 वाले दशक में रंगीन फोटोग्राफी का युग शुरू हुआ। 70 वाले दशक में वीडियो रिकॉर्डर और वीडियो कैमरे आए। 80 वाले दशक में कैमरों ने डिजिटल युग में पैर रखना शुरू किया।

आज स्थिति यह है कि एनालॉग फोटोग्राफी के दिन बस गिनती के रह गए हैं। चारो ओर डिजिटल तकनीक छाई हुई है। अब तो द्वि-आयामी फोटोग्राफी का भी अंत निकट आ रहा है। हर जगह चर्चा है 3D यानी त्रि-आयामी 'इमेजिंग' (छविकरण) की।

3D फोटो, फूजी फिल्म
यही नहीं, फोटो कैमरे और वीडियो कैमरे के बीच अंतर मिटता जा रहा है। फोटो कैमरा वीडियो शूटिंग भी करेगा और वीडियो कैमरा उच्चकोटि के स्थिर चित्र भी खींचेगा। इस समय प्रचलित द्वि-आयामी (2D) और नए त्रि-आयामी (3D) चित्रों और फिल्मों के लिए एक ही कैमरा काफी होगा। वह एक साथ दोनों प्रकार के छविकरण (इमेजिंग) कर सकेगा। साथ ही मोबाइल फोन का भी काम कर सकेगा और फोटो या वीडियो क्लिप को यू'ट्यूब, फेसबुक या फ्लिकर जैसे किसी भी इंटरनेट मंच के लिए अपलोड भी कर सकेगा। कैमरे के साथ का सॉफ्टवेयर कैमरे को इंटरनेट से जोड़ते ही उन मनपसंद चित्रों और वीडियो क्लिपों को उस वेब-फॉर्मैट में अपने आप बदल देगा, जो इच्छित प्लेटफॉर्म के लिए होना चाहिए।

दरअसल, आगामी परिवर्तन की पाँच मुख्य धाराएँ उभर रही हैं:

त्रि-आयामी (3D) कैमरे: टेलीविज़न ही नहीं, अब सादे कैमरे और वीडियो कैमकॉर्डर भी त्रि-आयामी बनने जा रहे हैं। त्रि-आयामी चित्रों और वीडियो फ़िल्मों की जीवंतता के आगे सारी द्वि-आयामी रंगीनी भी बस काली-सफेद एकरसता जैसी रह जाएगी।

फिल्म और फोटो एक ही कैमरे से: वीडियो कैमरे अब स्थिर तस्वीरें भी खींचा करेंगे और स्थिर तस्वीरों वाले कैमरे वीडियो फिल्में भी। एक ही कैमरा अनेक काम करेगा। ऐसे कैमरे आ रहे हैं, जो हाई डेफिनेशन (HD) चित्रों के साथ-साथ हाई डेफिनेशन वीडियो शूटिंग के भी काम आएँगे।

बिना मिरर वाले सिस्टम कैमरे: मिरर रिफ्लैक्स (SLR) कैमरों को ऐसे कॉम्पैक्ट (लघु आकार) डिजिटल सिस्टम कैमरों में बदला जा रहा है, जिन में दृश्यदर्शी मिरर (दर्पण) नहीं रह जाएगा। उन पर तरह-तरह के बाहरी लेंस तो लग ही सकेंगे, उन्हें वीडियो बनाने और इंटरनेट पर अपना ब्लॉग अपलोड करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

सदा साथ है मोबाइल इमेजिंग: आजकल सबसे अधिक तस्वीरें कैमरे की सुविधा वाले मोबाइल फोनों से खींची जाती हैं। कैमरा निर्माता अब ऐसे छोटे और हल्के, पर कहीं बेहतर गुणवत्ता वाले कैमरे बाज़ार में लाएँगे, जो मोबाइल फोन का भी काम करेंगे।

कंप्यूटर जनित छविकरण (CGI): अब बात फोटोग्राफी की नहीं, कंप्यूटर जनरेटेड इमेजिंग की होगी। तस्वीरों और फिल्मों को कंप्यूटर की सहायता से इतना निखारा-सँवारा जा सकेगा, ऐसे तत्व जोड़े जा सकेंगे कि उन में चार चाँद लग जाएँ। यहाँ तक कि कंप्यूटर वास्तविक और काल्पनिक डेटा के मेल से एक बिल्कुल नई छवि पैदा कर सकेगा।

अगली किश्त में हम इन परिवर्तनों पर विस्तार से प्रकाश डालेंगें।

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