Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह डोल ग्यारस के बाद आती है और इसके अगले दिन पूर्णिमा होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, साल 2025 में यह पर्व 6 सितंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन किए जाने वाले 5 महत्वपूर्ण कार्य और उनके पीछे का महत्व।
1. गणेश प्रतिमा का विसर्जन
अनंत चतुर्दशी का दिन गणेशोत्सव के समापन का प्रतीक है। भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को स्थापित की गई गणेश प्रतिमाओं का इस दिन विधि-विधान से विसर्जन किया जाता है। हालांकि, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में विसर्जन जल्दी हो जाता है, लेकिन कई जगहों पर 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का समापन इसी दिन होता है।
2. भगवान विष्णु की पूजा
इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का विधान है। 'अनंत' शब्द का अर्थ है जिसका न आदि है और न अंत। भगवान शेषनाग को भी 'अनंत' के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
3. अनंत चतुर्दशी का व्रत
इस दिन का व्रत बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब पांडव अपना राजपाट हार गए थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। उन्होंने बताया था कि भगवान विष्णु इस दिन शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं, और उनकी पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होता है।
4. अनंत सूत्र बांधना
अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने के बाद बाजू पर 14 गांठों वाला कच्चा धागा बांधा जाता है। ये 14 गांठें भगवान के 14 लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं। इसे पहनने से भगवान विष्णु की असीम कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
5. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह पाठ धन, सुख-संपदा, और संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन श्रद्धापूर्वक पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।