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दुर्लभ चित्रों का गणेश संसार

10,500 गणेश चित्रों का अद्‍भुत एवं दुर्लभ संग्रह

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प्रथम आराध्य देव भगवान गणेश के चित्रों का विशाल एवं अद्‍भुत संग्रह मदनसिंह चौहान के निजी संग्रह की शोभा बढ़ा रहा है। देवी अहिल्या की नगरी इंदौर के 27 गणेश मंदिरों के साथ, महू के पंचमुखी, सांवेर, मानपुर एवं होलकर रियासत की कर्मस्थली ग्राम कम्पेल में अहिल्या माता की गोद में गणेश जी वाला दुर्लभ चित्र भी है। वहीं देश के अन्य शहरों के 130 गणेश मंदिरों के चित्र, साथ ही भारत भूमि पर बने 15 से 25 फीट तक की चार गणेश मूर्तियों के चित्र भी हैं। ये चारों मूर्तियाँ (मालवा) मध्यप्रदेश में ही हैं।

मदनसिंह के पास राजस्थानी, उडि़या, दक्षिण भारती एवं मधुबनी एवं मांडणा शैली पर आधारित गणेश चित्रों का नायाब संग्रह तो है ही, पुरातत्व की दृष्टि से देखा जाए तो चौथी शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक की गणेश मूर्तियों के चित्र, ‍विख्यात चित्रकार श्री अरुण दाभोलकरजी के 36 गणेश‍ चित्रों को भी अपने संग्रह में प्रमुखता से संजोया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के 23 प्राचीन गणेश मंदिरों को ढूँढकर और गणेशजी के इन चित्रों को देखकर दर्शक इनके प्रति कृतज्ञता ही प्रकट करता है।

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इनके संग्रह में विशेष परमारकालीन, पांडवकालीन, त्रेतायुग में स्थापित एवं विक्रमादित्य कालीन गणेश मंदिरों की मूर्तियाँ भी शामिल हैं। साथ ही गणेशजी के 21 प्रधान मंदिरों में से 11 मंदिरों के दुर्लभ चित्र भी अपने निजी संग्रह में उपलब्ध हैं। गणेशजी के प्रति इतनी अटूट लगन किसी और व्यक्ति में नहीं मिलती जितनी इनमें है।

मदनसिंह के पास हनुमान रूप, साँईबाबा रूप, कृष्ण रूप, तिरुपति बालाजी रूप, माता दुर्गा रूप, ओम की आकृति, श्री आकृति, बाल गणेश, बारह राशियों पर आधारित, नारियल, केले के पत्ते, पीपल के पत्ते, बालू रेत से बने गणेश, एकमुखी से लेकर पंचमुखी, आधा इंच से लेकर 3 फीट के गणेश चित्र शामिल हैं।

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वहीं गणेशजी के बाल रूप से लेकर वैवाहिक प्रसंग हो या 16 हजार फीट पर रूपकुंड या 22 हजार फीट पर केदार ग्लेशियर वाला प्राकृतिक बर्फ से निर्मित गणेश चित्र तो हैं ही।

चॉकलेट, बल्ब, सब्जी, मूँगफली, लड्‍डुओं से बने, कोको कोला की बॉटल, सेनेटरी पाइप से बनी गणेश आकृतियाँ भी हैं। इनके संग्रह में वैवाहिक कार्ड, बधाई संदेश, पॉकेट कैलेंडर, कैलेंडर, टेबल कैलेंडर, पोस्टर, लक्ष्मी संग गणेश, लाइन वर्क में गणेश एवं कैमरे द्वारा गणेश मंदिरों के चित्र भी शामिल हैं।

गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा जिन 21 गणेश मंदिरों को मान्यता प्रदान की गई है उसमें से 12 गणेश मंदिरों के चित्र भी इनके संग्रह में शामिल हैं।

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इस विशेष उल्लेखनीय कार्य हेतु इनका नाम दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्‍स में दर्ज हो चुका है। शहर एवं देश की प्रसिद्ध हस्तियों से इन्हें कई प्रशंसा-पत्र भी प्राप्त हो चुके हैं। साथ ही इन्हें केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सम्मानित किया है। वे अपने इस गणेश संग्रह को गणेश लाइब्रेरी का रूप दे चुके हैं।

जहाँ गणेश भजनों के कैसेट, गणेश साहित्य, गणेशजी पर बने की-रिंग आदि मौजूद हैं। ऐसा दुर्लभ गणेश संसार देश में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। मदनसिंह गणेश भक्ति में लीन हो गए हैं। मगर शहर के लोग इन्हें मदन-गणेश के नाम से जानते हैं।

(संग्रहकर्ता : मदनसिंह चौहान)

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