गणपति बप्पा मोरिया। घर-घर में इस जयकारे के साथ गणेश स्थापना होगी। क्यों ना इस बार घर में ऐसे गणेश जी बनाएं जो पर्यावरण के लिए भी शुभ हो और हमारे लिए भी। तो फिर करें श्री गणेश, गणेश जी बनाने का? जिन्होंने हमें रचा है आइए आज सौंधी माटी से हम उन्हें रचते हैं...
सबसे पहले यह आसानी से मिलने वाली सामग्री जुटा लीजिए.... :
थोड़ी सी काली मिट्टी (2 कटोरी), मिट्टी सानने के लिए पानी, तुअर की दाल और चावल के कुछ दाने और पेंसिल की छीलन।
1. सबसे पहले मिट्टी में पानी डालकर उसे आटे की तरह हल्के हाथों से सान लीजिए। यह मिट्टी थोड़ी गीली-थोड़ी सख्त हो, ताकि शरीर के अलग-अलग हिस्से एक-दूसरे से चिपकाए जा सकें।
2. अब सनी हुई मिट्टी में से आधी से ज्यादा मिट्टी लेकर उससे दो गोले बनाएं। एक छोटा-एक थोड़ा बड़ा।
3. बड़े गोले को नीचे रखकर, छोटे गोले को थोड़ा सा चपटा करके उसे बड़े गोले पर फिट कर दें। यह हो गया गणपति बप्पा का पेट और सिर।
4. बाकी बची मिट्टी से पांच बेलनाकार आकृति बनाएं। यह हैं गजानन के हाथ, पैर और सूंड।
5 सूंड वाले हिस्से को हाथों से शेप देते हुए थोड़ा सा लंबा कर लें और हल्का सा नीचे से घूमा दीजिए।
6. इसे बप्पा के सिर वाले हिस्से पर अच्छे से लगा दीजिए।
7. बड़े गोले के ऊपरी दोनों किनारों पर हाथों को खड़ी स्थिति में पानी की सहायता से हल्के से मोड़कर चिपका दें।
8. बड़े गोले के निचले दोनों किनारों पर पैरों को बैठी हुई स्थिति में 'वी" के शेप में चिपका दें।
9. अब पेंसिल की छीलन को बप्पा के कान बनाकर चिपका दें और मुकुट की जगह भी इसे चिपका दें। यह जरूरी नहीं है आप एक मिट्टी के गोले को रोटी जैसा बेलकर उसे दो हिस्सों में बांट कर गोलाई वाला हिस्सा गणेश जी के चेहेरे से चिपका कर भी कान बना सकते हैं।
10. आंखों की जगह तुअर की दाल के दो दाने लगा दें और दांतों की जगह चावल के दाने।
गणपति बप्पा की मूर्ति तैयार है। इसे सूखने के लिए छांव में ही रखें। इनका विसर्जन घर में ही किसी थाली में रखकर, मूर्ति पर पानी डालकर कर सकते हैं और इस पानी को पौधों में डाल सकते हैं।
विशेष : इस मिट्टी में सुंदर फूलों के बीज भी डाल सकते हैं ताकि जब विसर्जन हो तो गमले में मिल कर गणपति बप्पा की सुगंध आपके घर को महका दें।