Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Ganesh Sthapana : श्री गणेशजी की कब और कैसे करें स्थापना, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हमें फॉलो करें Ganesh Sthapana : श्री गणेशजी की कब और कैसे करें स्थापना, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

अनिरुद्ध जोशी

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश उत्सव का प्रारंभ हो जाएगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 10 सितंबर 2021 शुक्रवार से 10 दिवसीय गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। घर-घर मिट्टी के गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी और 19 सितंबर 2021 रविवार को अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। आओ जानते हैं गणेशजी की मूर्ति की स्थापना कब और कैसे करे और जानिए मुहूर्त और पूजा विधि।
 
 
1. कैसे करें गणेश स्थापना : श्रीगणेशजी के आगमन के पूर्व घर को साफ सुथरा करके सजाया जाता है। इसके बाद गणेशजी की मूर्ति को स्थापित करने के पूर्व ईशान कोण को अच्‍छे से साफ करके कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से चार बिंदी बनाएं। फिर एक मुट्ठी अक्षत रखें और इस पर छोटा बाजोट, चौकी या लकड़ी का एक पाट रखें। पाट पर लाल, पीला या केसरिये रंग का सूती कपड़ा बिछाएं। चारों ओर फूल और आम के पत्तों से सजावट करें और पाट के सामने रंगोली बनाएं। तांबे के कलश में पानी भरकर उस पर नारियल रखें।
 
आसपास सुगंधित धूप, दीप, अगरबत्ती, आरती की थाली, आरती पुस्तक, प्रसाद आदि पहले से रख लें। अब परिवार के सभी सददस्य एकत्रित होकर ॐ गंगणपते नम: का उच्चारण करते हुए प्रतीमा को पाट पर विराजमान करें। अब विधिवत पूजा करके आरती करें और प्रसाद बांटें।
 
2. कब करें स्थापना :
webdunia
 
पूजन सामग्री- गणेश जी की प्रतिमा (मिट्टी, स्वर्ण, रजत, पीतल, पारद), हल्दी, कुमकुम, अक्षत (बिना टूटे हुए चावल), सुपारी, सिन्दूर, गुलाल, अष्टगंध, जनेऊ जोड़ा, वस्त्र, मौली, सुपारी, लौंग, इलायची, पान, दूर्वा, पंचमेवा, पंचामृत, गौदुग्ध, दही, शहद, गाय का घी, शकर, गुड़, मोदक, फल, नर्मदा जल/ गंगा जल, पुष्प, माला, कलश, सर्वोषधि, आम के पत्ते, केले के पत्ते, गुलाब जल, इत्र, धूप बत्ती, दीपक-बाती, सिक्का, श्रीफल (नारियल)।
 

webdunia
3.पूजा विधि : गणेश चतुर्थी वाले दिन शुभ चौघड़िए के अनुसार पूजा करें। यहां सामान्य पूजा विधि बताई जा रही है।
 
1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो गणेशजी का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए गणेशजी का भजन व पूजन करते हैं।
 
2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद गणेशजी की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
 
3. पूजन में गणेशजी के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
 
4. फिर गणेशजी के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
webdunia
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
 
6. अंत में आरती करें। आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
 
7. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्रीगणेश चतुर्थी 2021 : राशि अनुसार यह मंत्र है शुभ आपके लिए...