प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। इस तरह 24 चतुर्थी और प्रत्येक तीन वर्ष बाद अधिमास की मिलाकर 26 चतुर्थी होती है। सभी चतुर्थी की महिमा और महत्व अलग अलग है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। आओ जानते हैं कि गणेश पूजा में कौनसी चीजें नहीं करते हैं अर्पित।
1. तुलसी : भगवान गणेशजी को भूलकर भी तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए। तुलसी विष्णुप्रिया है।
2. केतकी के और सफेद फूल : गणेशजी को कभी भी सूखे फूल अर्पित नहीं किए जाते हैं। सूखे फूल अर्पित करना अशुभ होता है। यह दरिद्रता लाता है। गणेशजी को केतकी के फूल भी अर्पित नहीं किए जाते हैं। सफेद फूल भी गणेशजी को पसंद नहीं है। सफेद पुष्प का संबंध चंद्रमा से होने के कारण उन्हें नहीं चढ़ता। चंद्रमा ने एक समय पर गणेशजी का उपहास किया था। इसके चलते गणेशजी ने उन्हें शाप दे दिया था और उनसे संबंधित सफेद चीजों को अपनी पूजा में वर्जित कर दिया था।
3. टूटे और सूखे अक्षत : गणेशजी को टूटे या सूख अक्षत अर्थात चावल अर्पित नहीं करना चाहिए। अटूट चावल को थोड़ा गीला करके अर्पित करें। गणेशजी का एक दांत टूटा हुआ हैं इससे गीला चावल होने पर उन्हें स्वीकार करना गणेश के लिए सहज होता है।
4. सफेद जनेऊ और सफेद वस्त्र : गणेश जी को सफेद जनेऊ भी अर्पित नहीं करते हैं। जनेऊ को हल्दी में पीला करके ही उन्हें अर्पित करें। इसी प्रकार उन्हें सफेद वस्त्र भी नहीं पहनाए जाते हैं।
5. सफेद चंदन : गणेजी को सफेद चंदन के बजाए पीला चंदर अर्पित करें या पीला चंदन लगाएं।