भगवान गणेश को गणपति इसलिए कहते हैं क्योंकि वे गणों को प्रमुख हैं। उन्हें गणेश इसलिए कहते हैं क्योंकि वे गणों के ईश अर्थात ईश्वर हैं। उन्हें गजानन इसलिए कहते हैं कि उनका मुख गज अर्थात हाथी के समान है। उन्हें एकदंत इसलिए कहते हैं क्योंकि उनका एक ही दांत है। इसी तरह उनके कई नाम है परंतु ये सभी नाम तो उनकी उपाधि है फिर उनका असली नाम क्या है? आओ जानते हैं कि अनुश्रुति के अनुसार उनका नाम क्या है।
1. कहते हैं कि भगवान गणेशजी का मस्तक या सिर कटने के पूर्व उनका नाम विनायक था। परंतु जब उनका मस्तक काटा गया और फिर उसे पर हाथी का मस्तक लगाया गया तो सभी उन्हें गजानन कहने लगे। फिर जब उन्हें गणों का प्रमुख बनाया गया तो उन्हें गणपति और गणेश कहने लगे।
2. जनश्रुति अनुसार कहते हैं कि जब माता पार्वती ने उनकी उत्पत्ति की थी तब उनका नाम विनायक रखा था। विनायक अर्थात नायकों का नायक, विशेष नायक।
3. एक कथा के अनुसार शनि की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जलकर भस्म हो गया था। इस पर दु:खी पार्वती (सती नहीं) से ब्रह्मा ने कहा- 'जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो।' पहला सिर हाथी के बच्चे का ही मिला। इस प्रकार गणेश 'गजानन' बन गए।
4. दूसरी कथा के अनुसार गणेशजी को द्वार पर बिठाकर पार्वतीजी स्नान करने लगीं। इतने में शिव आए और पार्वती के भवन में प्रवेश करने लगे। गणेशजी ने जब उन्हें रोका तो क्रुद्ध शिव ने उनका सिर काट दिया। इन गणेशजी की उत्पत्ति पार्वतीजी ने चंदन के मिश्रण से की थी। जब पार्वतीजी ने देखा कि उनके बेटे का सिर काट दिया गया तो वे क्रोधित हो उठीं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर गणेशजी के सिर पर लगा दिया और वह जी उठा।- स्कंद पुराण