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माता-पिता के चरणों में ब्रह्मांड

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विशाल मिश्रा

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एक प्रसंग सभी को मालूम होगा, जब भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय जी और गणेशजी के समक्ष ब्रह्मांड का चक्कर लगाने की प्रतियोगिता रखी कि दोनों में से कौन पहले ब्रह्मांड का चक्कर लगाता है। गणेश जी और कार्तिकेयजी दोनों एक साथ रवाना हुए। कार्तिकेयजी का वाहन था मोर जबकि गणेश जी का मूषक। कार्तिकेयजी क्षण भर में मोर पर बैठकर आँखों से ओझल हो गए जबकि गणेशजी अपनी सवारी पर धीरे-धीरे चलने लगे।

थोड़ी देर में गणेशजी फिर लौट आए और माता-पिता से क्षमा माँगी और उनकी 3 बार परिक्रमा कर कहा- लीजिए मैंने आपका काम कर दिया। दोनों गद्‍गद्‍ हो गए और पुत्र गणेश की बात से सहमत भी हुए। गणेश का कहना था ‍कि माता-पिता के चरणों में ही संपूर्ण ब्रह्मांड होता है।

गणेशजी के भक्तों को उनकी इसी सीख को आत्मसात करते हुए अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। हर हाल में माता-पिता को अपने साथ रख उनका ध्यान रखना चाहिए। हमें अपने आसपास देखने में आता है कि धीरे-धीरे हम पाश्चात्य संस्कृति के रंग में रंगते जा रहे हैं। माता-पिता वृद्ध हुए कि उन्हें उनका घर (वृ्द्धाश्रम) दिखा देते हैं।

  गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा मोरया के साथ-साथ अपने माता-पिता की सेवा का भी अवसर न चूकें। यही गणेशजी के प्रति आपकी सच्ची श्रद्धा होगी। दुर्वा गणेशजी को चढ़ाएँ और मोदक का भोग लगाएँ जो कि उनको बहुत‍ प्रिय हैं।      
शादी के पहले तक माता-पिता ही सब दिखाई देते हैं। शादी के बाद वही स्थान पत्नी और फिर बच्चों का हो जाता है तो फिर वृद्ध माँ-बाप किसके भरोसे रहेंगे। आपके इस व्यवहार का लाभ आपको भी आगे जाकर मिलेगा। प्रेमचंद की 'बूढ़ी काकी' कहानी की भाँति जो बच्चे अपने सामने आपका व्यवहार दादा-दादी के साथ देखेंगे। वही वे आपके प्रति भी रखेंगे। आवश्यकता है समय रहते सचेत जाएँ।

जिन माता-पिता ने हमें अनेक कष्ट सहकर पाला-पोसा और बड़ा किया है, हमें उनका तिरस्कार कभी नहीं करना चाहिए। माता-पिता का साया किस्मत वालों के सिर पर ही होता है। एक बार जरा उन ‍अपने मित्रों या परिचि‍तों से मिलकर देखिए जिनके माता-पिता नहीं हैं। तो शायद इस बात का एहसास बखूबी हो जाएगा।

गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा मोरया के साथ-साथ अपने माता-पिता की सेवा का भी अवसर न चूकें। यही गणेशजी के प्रति आपकी सच्ची श्रद्धा होगी। दुर्वा गणेशजी को चढ़ाएँ और मोदक का भोग लगाएँ जो कि उनको बहुत‍ प्रिय हैं। इसे अर्पित करने के बाद आपकी दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की के रास्ते में कोई बाधा नहीं आएगी और गणपति बप्पा भी कभी आपसे नहीं रूठेंगे।

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