Ganesh utsav 2023 : 19 सितंबर 2023 को गणेश उत्सव प्रारंभ हो रहे हैं। अधिकतर लोग इसी दिन गणेश स्थापना करेंगे, क्योंकि इस दिन बहुत ही शुभ योग संयोग बन रहे हैं। गणपति स्थापना के पूर्व भगवान गणेश जी की मूर्ति को घर में लाया जाता है। यदि आप सावर्जनिक स्थान पर प्रतिमा को विराजमान कर रहे हैं तो उसके भी यही नियम हैं।
गृह सज्जा और स्थापना स्थल:-
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गणेशजी के आगमन के पूर्व घर और द्वार को सजाया जाता है।
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जहां उन्हें स्थापित किया जाएगा उस जगह की सफाई करके उसे पूजा के लिए तैयार किया जाता है।
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कई लोग मूर्ति स्थापना की जगह को अच्छे से सजाते हैं। झांकी बनाते हैं और लाइटिंग करते हैं।
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गणेशजी की मूर्ति को स्थापित करने के पूर्व ईशान कोण को अच्छे से साफ करके कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से चार बिंदी बनाएं।
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फिर एक मुट्ठी अक्षत रखें और इस पर छोटा बाजोट, चौकी या लकड़ी का एक पाट रखें।
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पाट पर लाल, पीला या केसरिये रंग का सूती कपड़ा बिछाएं।
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चारों ओर फूल और आम के पत्तों से सजावट करें और पाट के सामने रंगोली बनाएं।
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तांबे के कलश में पानी भरकर उस पर नारियल रखें।
मूर्ति लेने जाना:-
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बाजार जाने से पहले नवीन वस्त्र धारण करें, सिर पर टोपी या साफा बांधें, रुमाल भी रखें।
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गणेशजी की मूर्ति लेने जा रहे हैं तो शुद्ध और पारंपरिक वस्त्र पहनकर ही जाएं।
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पीतल या तांबे की थाली साथ में ले जाएं नहीं तो लकड़ी का पाट ले जाएं जिस पर गणेशजी विराजमान होकर घर में पधारेंगे।
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मूर्ति यदि बड़ी है तो उसके हिसाब से व्यवस्था करें। पाट या चौखट को पवित्र करके ही उस पर गणेशजी को विराजमान करें।
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इसके साथ ही घंटी और मंजीरा भी ले जाएं।
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बाजार जाकर जो भी गणेशजी पसंद आए उसका मोलभाव न करें उसे आगमन के लिए निमंत्रित करके दक्षिणा दे दें।
घर में मंगल प्रवेश :-
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गणेशजी को प्रसन्न करना है तो प्रसन्नतापूर्वक और विधिवत रूप से श्री गणेशजी का घर में मंगल प्रवेश होना चाहिए।
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गणेशजी की प्रतिमा को धूम-धाम से घर के द्वारा पर लाएं और द्वार पर ही उनकी आरती उतारें।
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मंगल गीत गाएं या शुभ मंत्र बोलें और फूलों की वर्षा करें।
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मंगल प्रवेश करने के बाद गणेश की को पहले किसी और पाट पर विराजमान करें इसके बाद स्थापना के समय विधिवत रूप से पूजा स्थल के पाट पर विराजमान करें।