Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गंगा दशहरा कब है, क्या है इस दिन का महत्व, घर बैठे कर सकते हैं गंगाजल के 10 प्रयोग

हमें फॉलो करें गंगा दशहरा कब है, क्या है इस दिन का महत्व, घर बैठे कर सकते हैं गंगाजल के 10 प्रयोग
, बुधवार, 8 जून 2022 (10:01 IST)
Ganga Dussehra 2022 : प्रतिवर्ष वैशाख माह में गंगा सप्तमी और ज्येष्‍ठ माह में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दोनों का ही अलग अलग महत्व है। आओ जानते हैं कि कैसे घर बैठे कर सकते हैं आप गंगाजल के 10 प्रयोग।
 
 
गंगा दशहरा कब है : 09 जून 2022 को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष यह पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
 
क्या है इसका महत्व : कहते हैं कि गंगा सप्तमी को मां गंगा शिवजी की जटाओं में उतरी थीं। इसके बाद गंगा दशहरा को धरती पर उनका अवतरण हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन अवसरों पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
गंगाजल के 10 प्रयोग (10 Uses of Gangajal) :
 
1. गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है।
 
2. गंगा के जल को घर में सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय छिड़कने से ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
 
3. किसी भी मांगलिक अवसर पर घर, यज्ञ वेदी या किसी स्‍थान को शुद्ध करने के लिए गंगा जल का प्रयोग किया जाता है।
webdunia
4. गंगा का पानी पीने से सभी के रोग और शोक मिट जाते हैं। शिवजी की जटाओं से निकलने के कारण इसके जल को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
 
5. कहते हैं कि किसी के प्राण नहीं छूट रहे हैं और वह तड़फ रहा है तो उसके मुंड में गंगा जल डालने से वह शांति से देह छोड़ देता है। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।
 
6. गंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जहां पर अमृत कुंभ की बूंदें दो जगह गिरी थी। प्रयाग और हरिद्वार में। इसीलिए इसके जल का महत्व बढ़ जाता है और इसीलिए यहां कुंभ का आयोजन होता है।
 
7. गंगा का जल कभी अशुद्ध नहीं होता और ना ही यह सड़ता है। इसीलिए इस जल को घर में एक तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखा जाता है। इसे घर में रखने सभी तरह के संकटों का समाधान होकर शुभ ही होता है।
 
8. गंगा का जल किसी अन्य जल में डाल देने से वह जल भी शुद्ध होकर गंगा के समान हो जाता है, क्योंकि बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद जो पानी को शुद्ध कर देते हैं।
 
9. गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है। गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। जहां आक्सीजन की कमी लगे तब इस नदी के किनारे रहकर या इसके पानी को पीकर इसे प्राप्त किया जा सकता है। गंगा के पानी से हैजा और पेचिश जैसी बीमारियों का खतरा बहुत ही कम हो जाता है। इस जल को कभी भी किसी भी शुद्ध स्थान से पीया जा सकता है। 
 
10. गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा में है, इसलिए यह खराब नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं। जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि गंगा के पानी को बेहद पवित्र माना जाता है। इसे पीने से कई तरह के रोग नष्ट हो जाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गंगा दशहरा पर जानिए कैसे अवतरित हुई थी देव नदी गंगा, पढ़ें राजा शांतनु और गंगा मैया की कथा