Ganga Dussehra par ghat darshan and Aarti : प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद गंगा दर्शन और गंगा पूजन करते हैं। वाराणसी और हरिद्वार के गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। आखिर क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा और क्या होता है गंगा के घाटों पर? चलिए जानते हैं?
गंगा दशहरा क्यों मनाया जाता है?
- प्रतिवर्ष वैशाख माह में गंगा सप्तमी और ज्येष्ठ माह में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दोनों पर्वों का ही अलग-अलग महत्व है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा भगवान शिव जी की जटाओं में उतरी थीं तथा इसके बाद गंगा दशहरा को धरती पर उनका अवतरण हुआ था। इसलिए गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है।
गंगा दशहरा का क्या है महत्व?
- शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरा के दिन स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा पर गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा पर वाराणसी और हरिद्वार के गंगा घाट पर क्या होता है?
- गंगा दशहरा पर वाराणसी और हरिद्वार के गंगा घाटों पर मां गंगा की विशेष पूजा और आरती होती है।
- इस पर्व के लिए घाट के गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
- सभी मंदिरों को आकर्षक विद्युत उपकरणों और फूलों से सजाया जाता है।
- गंगा दशहरा पर सभी भक्तजन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान करके मां गंगा की पूजा और आरती करते हैं।
- पूजा और आरती के बाद दान पुण्य का कार्य करते हैं।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार हरिद्वार में हर की पौड़ी पर स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं।
- वाराणसी के अस्सी घाट से दशाश्वमेध घाट तक मां गंगा को 56 भोग अर्पित करके चुनरी चढ़ाई जाती है।
- 108 लीटर दूध से मां गंगा का अभिषेक किया करके महाआरती की जाती है।
- वाराणसी और हरिद्वार दोनों ही जगहों के घाटों पर मां गंगा का षोडशोपचार विधि से पूजन अर्चन किया जाता है।