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गंगा दशहरा की शुभकामनाएं : गंगाजल के कब-कब और क्या-क्या होते हैं इस्तेमाल

हमें फॉलो करें गंगा दशहरा की शुभकामनाएं : गंगाजल के कब-कब और क्या-क्या होते हैं इस्तेमाल
, गुरुवार, 9 जून 2022 (11:55 IST)
Ganga Dussehra 2022: ज्येष्ठ माह की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन धरती पर गंगा नदी का अवतरण हुआ था। हिन्दू धर्म में गंगा नदी के जल को सबसे पवित्र माना जाता है। कहते हैं कि गंगा नदी में स्नान करने से 10 तरह के पापों (3 कायिक, 4 वाचिक और 3 मानसिक) से मुक्ति मिलती है। आओ जानते हैं कि इस पवित्र गंगाजल का उपयोग कब और किस तरह करते हैं। 
 
गंगाजल के 5 प्रयोग :
1. गंगा स्नान : गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है। कुंभ के दिनों में, गंगा सप्तसती और गंगा दशहरा के साथ ही अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना चाहिए। 
 
2. गंगाजल का छिड़काव : गंगा के जल को घर में सूर्य या चंद्रग्रहण के समय छिड़कने से ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके अलावा किसी भी मांगलिक अवसर पर घर, यज्ञ वेदी या किसी स्‍थान को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का प्रयोग किया जाता है।
 
3. गंगाजल का सेवन : गंगा का पानी पीने से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। पूजा या संध्या वंदन के पूर्व इसका आचमन करना बहुत ही महत्व रखता है। इससे हृदय शुद्ध होता है। कहते हैं कि किसी के प्राण नहीं छूट रहे हैं और वह तड़प रहा है तो उसके मुंह में गंगाजल डालने से वह शांति से देह छोड़ देता है। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।
 
4. गंगाजल घर में रखने से मिटते हैं संकट : गंगा का जल कभी अशुद्ध नहीं होता और न ही यह सड़ता है। इसीलिए इस जल को घर में एक तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखा जाता है। इसे घर में रखने सभी तरह के संकटों का समाधान होकर शुभ ही होता है।
 
5. दूसरे जल को शुद्ध करना : गंगा का जल किसी अन्य जल में डाल देने से वह जल भी शुद्ध होकर गंगा के समान हो जाता है, क्योंकि बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद रहता है, जो पानी को शुद्ध कर देते हैं। यदि आप गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो यह उपाय कर सकते हैं। 

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