गंगा सप्तमी पर क्या करते हैं, जानें पूजन की विधि और मुहूर्त
, मंगलवार, 14 मई 2024 (11:04 IST)
• गंगा सप्तमी का महत्व।
• गंगा सप्तमी पूजन के शुभ मुहूर्त।
• गंगा पूजन की विधि।
Ganga Saptami : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में गंगा सप्तमी/ गंगा जयंती का पर्व 14 मई, दिन मंगलवार को पड़ रहा है। प्रतिवर्ष 'गंगा सप्तमी' का पावन पर्व वैशाख शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है, यह पर्व देवी गंगा को समर्पित है। इस दिन को गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं मई 2024 में गंगा सप्तमी का पर्व कब मनाया जाएगा और इसके मुहूर्त क्या हैं? जानें इस लेख में-
गंगा सप्तमी पूजन मंगलवार, 14 मई 2024 के मुहूर्त : Ganga Saptami 2024 Shubh Muhurat
वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि का प्रारंभ- 14 मई 2024 को सुबह 02 बजकर 50 मिनट से
गंगा सप्तमी तिथि का समापन- 15 मई 2024, बुधवार को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर।
गंगा सप्तमी मध्याह्न मूहूर्त- सुबह 10 बजकर 56 मिनट से दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक।
अवधि- 02 घंटे 43 मिनट्स
शुभ समय :
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 07 मिनट से सुबह 04 बजकर 49 मिनट तक।
प्रातः सन्ध्या- सुबह 04 बजकर 28 मिनट से सुबह से 05 बजकर 31 मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त- सायं 07 बजकर 03 मिनट से 07 बजकर 24 मिनट तक।
सायाह्न सन्ध्या- सायं 07 बजकर 04 मिनट से 08 बजकर 07 मिनट तक।
अमृत काल- सुबह 06 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 57 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 15 मई को सुबह 12 बजकर 38 मिनट मिनट तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग- रात 01 बजकर 05 मिनट से 15 मई को सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक।
रवि योग- सुबह 05 बजकर 31 मिनट से दोपहर 01 बजकर 05 मिनट तक।
आज का चौघड़िया :
चर- सुबह 08 बजकर 54 मिनट से सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक।
लाभ- सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।
अमृत- दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 59 मिनट तक।
शुभ- अपराह्न 03 बजकर 41 मिनट से शाम 05 बजकर 23 मिनट तक।
रात्रि का चौघड़िया :
लाभ- रात 08 बजकर 23 मिनट से 09 बजकर 41 मिनट तक।
शुभ- रात्रि 10 बजकर 59 से 15 मई को सुबह 12 बजकर 17 मिनट तक।
अमृत- सुबह 12 बजकर 17 मिनट से 15 मई को सुबह 01 बजकर 36 मिनट तक।
चर- सुबह 01 बजकर 36 मिनट से 15 मई को सुबह 02 बजकर 54 मिनट तक।
पूजन विधि :
गंगा सप्तमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ होता है।
इस दिन गंगा जी में डुबकी लगाने से जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है।
गंगा सप्तमी के दिन यदि आप गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो सूर्योदय से पहले उठकर घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
इसके बाद अपने घर के मंदिर में मां गंगा की मूर्ति या तस्वीर के साथ कलश की स्थापना करें।
इस कलश में रोली, चावल, गंगाजल, शहद, चीनी, इत्र और गाय का दूध इन सभी सामग्रियों को भर कर कलश के ऊपर नारियल रखें और इसके आसपास मुख पर अशोक के पांच पत्ते लगा दें। साथ ही नारियल पर कलावा बांध दें।
फिर देवी गंगा की प्रतिमा या तस्वीर पर कनेर का फूल, लाल चंदन, फल और गुड़ का प्रसाद चढ़ाकर मां गंगा की आरती करें। 'गायत्री मंत्र' तथा गंगा सहस्त्रनाम स्त्रोत का का जाप करें।
धार्मिक मान्यता गंगा सप्तमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ होता है। इस दिन गंगा जी में डुबकी लगाने से जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है तथा सभी प्रकार के पाप मिट जाते हैं।
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