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अमेठी कद बढ़ाने नहीं, जीतने आई हूं...

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जयदीप कर्णिक

उनका तमाम मेकअप भी पसीने की उन बूँदों को छुपा नहीं पा रहा जो अमेठी कि चिलचिलाती धूप में उनके चेहरे पर उभर आई हैं। 'सास भी कभी बहू थी' की बहू तुलसी अब अमेठी के आँगन में अपनी किस्मत आजमाने आई हैं। स्मृति ईरानी लाख कहें कि वो तो 10-12 साल से राजनीति में हैं, पर उनकी टीवी स्टार वाली छवि को वो ख़ुद से अलग नहीं कर सकतीं, बहुत चाह कर भी।
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WD

भारतीय जनता पार्टी के बदलते समीकरणों के बीच उन्हें टीम मोदी में मिली अहमियत इस बात से ही साबित हो जाती है कि उन्हें प्रवक्ता के रूप में टीवी पर तो स्थान मिल ही रहा था, अब उन्हें अमेठी के मैदान में भी उतार दिया गया है। ये महज संयोग नहीं है कि स्मृति को इस नई भाजपा में इतना स्थान मिल रहा है। जो सुषमा स्वराज मोदी की नीतियों पर खुले आम ट्वीट कर टिप्पणियाँ करती हैं, उनके प्रभाव को कम करने के लिए ही तुलसी के इस पौधे में नए सिरे से ख़ाद पानी डाला गया है।

उनका नाम अमेठी के लिए बहुत देर से तय हुआ और इसे पाटने के लिए वो तेज़ी से तूफानी दौरे कर रही हैं। अमेठी में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं, 16 ब्लॉक हैं और 1257 राजस्व गाँव हैं। जाहिर है 7 मई तक इन सभी तक पहुँच पाना स्मृति ईरानी के लिए संभव नहीं है। इसीलिए उनकी भूरे रंग की डस्टर गाड़ी अमेठी की सड़कों पर धूल उड़ाती हुई अक्सर दिख जाएगी। वो लगातार नुक्कड़ सभाएँ ले रही हैं। अमेठी में भाजपा का संगठन बहुत मजबूत नहीं है पर दिल्ली से आई टीम और कुछ स्थानीय नेताओं को जोड़कर तेज़ी से काम करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने अपना कार्यालय गौरीगंज में बनाया है जो अमेठी मुख्यालय से पहले पड़ता है।

संग्रामपुर के कालका मंदिर के पास की नुक्कड़ सभा के बाद उन्होंने वेबदुनिया से बातचीत की। उनसे पहला सवाल ये ही पूछा कि क्या पार्टी ने आपको यहाँ से टिकट देने में देर नहीं कर दी?...उन्होंने तपाक से उत्तर दिया कि देर आए, दुरुस्त आए...। मतलब देरी होने की टीस तो साफ थी। जब उनसे पूछा कि ये वीआईपी सीट का चुनाव क्या केवल कद बढ़ाने के लिए नहीं होता? उन्होंने कहा क्या मतलब? मैंने कहा मतलब जैसे सुषमा स्वराज बेल्लारी से सोनिया गाँधी के ख़िलाफ चुनाव लड़ने गईं थी। वो तो हार गईं पर पार्टी में नम्बर बढ़ गए। वो इस सवाल पर थोड़ा अचकचाईं पर फिर बोलीं कि देखिए मैं कोई पार्टी और राजनीति में नई नहीं हूँ। मैं पिछले 10-12 साल से सतत सक्रिय हूँ।

अच्छा ये बताइए कि यहाँ अमेठी के मुद्दे क्या हैं? वो बोलीं आप ख़ुद ही देख लीजिए, इतनी महत्वपूर्ण सीट है। कांग्रेस की केंद्र में सरकार है। बिजली-पानी का यहाँ कोई ठिकाना नहीं। गैस सिलेंडर तक ठीक से सप्लाई नहीं होते। उद्योग सब ख़त्म हो रहे हैं। आख़िर किया क्या है राहुल गाँधी ने? ...इसे संयोग कहें या स्मृति ईरानी की किस्मत, उनकी इस बात को सुनकर भीड़ में से अचानक एक बुजुर्ग महिला सामने आईं और बोलीं- बेटा हमको तो पानी की बड़ी दिक्कत है। कांग्रेस को वोट देते आए हैं पर तुम पानी दिला दो तो तुमको ही वोट देंगे। स्मृति ईरानी ने भी झट अम्मा को पास बुलाकर आश्वासन दे दिया। हमने अम्मा से नाम पूछा तो बोलीं - राजेश्वरी बाई हूँ, मल्लूपुर से। मेरी उम्र 70 साल है। पता नहीं राहुल इन राजेश्वरी बाई की पानी की कसक से कब रूबरू हो पाएँगे?

हमने चलते-चलते स्मृति से पूछा आप तो अभी आईं हैं, आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास तो यहाँ कई दिनों से डेरा डाले हुए हैं? उनसे भी तो आपका मुकाबला है? वो हँसने लगी और बोलीं हमारा कोई मुकाबला कांग्रेस की बी टीम से नहीं है। हम तो काँग्रेस के राहुल गाँधी को हराने आए हैं और हराएँगे।

ये तो स्मृति भी मान रही हैं कि देर आयद, पर दुरुस्त है कि नहीं ये तो उनको मिलने वाले वोट और उस वजह से टीम मोदी में उनके कद से ही तय होगा।

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