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आजम खां नाराज, मुलायम से क्या बोले...

अरविन्द शुक्ला

हमें फॉलो करें आजम खां नाराज, मुलायम से क्या बोले...
, बुधवार, 16 अप्रैल 2014 (10:59 IST)
लखनऊ। देश के चुनाव आयोग द्वारा प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां पर चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप पर आधा दर्जन प्राथमिकी दर्ज कराए जाने और उनको चुनावी दौरों और सार्वजनिक सभाओं में भाषण देने, जुलूस अथवा रोड शो निकालने पर प्रतिबंध लगाए जाने पर मो. आजम खा ने अपनी सफाई देते हुए पार्टी मुखिया सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को 4 पन्नों का एक पत्र लिखा है।
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आजम खां ने अपने पत्र में चुनाव आयोग द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों की सफाई दी गई है और उन्होंने लिखा है कि संवैधानिक संस्थाएं भी अगर कमजोरों का दर्द बयान करने से रोक देंगी और जुबांबंदी कर दी जाएगी तो इसके नतीजे अच्छे नही होंगे। आज मेरी जुबांबंदी की गई है, कल किसी और की, की जाएगी और वह दिन दूर नहीं, जब कमजोर की वकालत करने वाली कोई जुबान नहीं छोड़ी जाएगी।

आजम खां लिखते हैं कि अभी मुझ पर जुबांबंदी का ताला है, लेकिन मेरी रगों में दौड़ने वाले लहू, सोचने-समझने की सलाहियत और चलने-फिरने के मेरे अधिकार पर किसी का पहरा नहीं है। मैं जानता हूं कि कांग्रेस कुछ भी करा सकती है और साथ ही फासिस्ट ताकतें मेरी बर्बादी के लिए किसी हद तक जा सकती हैं।

उल्लेखनीय है कि आजम के विरुद्ध अब तक बिजनौर जिले में 2, गाजियाबाद, रामपुर, संभल और शामली में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन तथा भड़काऊ भाषण देने के आरोप में 1-1 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

चुनाव आयोग ने 11 अप्रैल को आजम खां पर सार्वजनिक सभाओं में भाषण देने, जुलूस अथवा रोड शो निकालने पर प्रतिबंध लगाते हुए भड़काऊ भाषण के मामले में आपराधिक मुकदमे दर्ज करने के आदेश दिए थे।

अगले पन्ने पर... क्यों कसा चुनाव आयोग ने आजम पर शिकंजा...


आजम खां के खिलाफ ये सारे मुकदमे भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए विभिन्न समूहों के बीच धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, आवास, भाषा आदि के आधार पर शत्रुता पैदा करना, धारा 153 बी राष्ट्रीय अखंडता के लिए हानिकारक दावे, धारा 505 वर्गों के बीच शत्रुता और बैरभाव पैदा करने वाले या बढ़ाने वाले बयान और धारा 125 जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत दर्ज किए गए हैं।

आजम खां ने मुरादाबाद में सपा उम्मीदवार एसटी हसन के समर्थन में 10 अप्रैल को अफजलगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए गुजरात और मुजफ्फरनगर दंगों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कथित तौर पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश की थी। आजम ने 9 अप्रैल को संभल जिले में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ईवीएम का बटन दबाकर मुजफ्फरनगर के दंगाइयों से बदला लेने की बात कही थी।

गाजियाबाद के मुस्लिम बाहुल्य मसूरी इलाके में 7 अप्रैल को आजम खां के इस विवादित भाषण के लिए 'कारगिल की लड़ाई हिन्दू सैनिकों ने नहीं, बल्कि मुसलमान फौजियों ने जीती थी' उनके विरुद्ध मसूरी थाने में 12 अप्रैल को एक प्राथमिकी तथा इसी दिन इन्हीं आरोपों के चलते शामली में भी मुकदमा दर्ज किया गया था।

आजम ने अपने गृह जनपद रामपुर में 10 अप्रैल को एक बार फिर कारगिल युद्ध के बारे में विवादास्पद बयान दिए। यहां तक कि उन्होंने सेना की एक बटालियन का भी नाम लिया था और भाजपा नेता अमित शाह के विरुद्ध 'फांसीवादी' तथा 'इंसानियत का कातिल' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। इस संबंध में भी उनके विरुद्ध एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

मो. आजम खां ने पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को 4 पन्नों का जो पत्र लिखा है उसे हू-ब-हू प्रकाशित किया जा रहा है।

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