भाजपा ने अमेठी में स्मृति ईरानी को बहुत देर से, कहना चाहिए सबके बाद घोषित किया। इसका नुकसान उन्हें यह हो रहा है कि टाइम कम है और मिलना सबसे है। सो वे गांव-गांव के तूफानी दौरे कर रही हैं। भाजपा भी जानती है कि स्मृति ईरानी जीतने तो नहीं जा रहीं। सो वो चाहती है कि इतने वोट काट दिए जाएं कि राहुल ही हार जाएं। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस की बड़ी छीछालेदार होगी। स्मृति ईरानी को दमदारी से लड़ाने के लिए दिल्ली से चुनाव विशेषज्ञों की दो टीमें यहां आई हैं। वे अपने हिसाब से स्मृति ईरानी को लोगों से मिला रही है और प्रचार करा रही है।
नरेंद्र मोदी यहां स्मृति के लिए एक सभा करेंगे। जनरल वीके सिंह और सुषमा स्वराज की भी सभाएं लगभग तय हैं। जातिगत उठापटक का जिम्मा स्थानीय कार्यकर्ताओं को दिया गया है। खुद स्मृति ईरानी बार-बार चुनाव कार्यालय आ रही हैं। उनका चुनाव कार्यालय गौरीगंज में है, जो अमेठी मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है। यहां कार्यकर्ताओं का तांता लगा रहता है। खाना बनता रहता है और कार्यकर्ता आते-खाते रहते हैं।
इसके अलावा संगठन की मीटिंगें भी चलती ही रहती हैं। यहां सबका प्रचार दिख रहा है, नहीं दिख रहा तो राहुल गांधी और कांग्रेस का न तो कोई प्रचार है और ना कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं। मुमकिन है वे अंदरूनी गावों की तरफ हों, मगर यहां उनके न दिखने से राहुल का पक्ष कमज़ोर दिखने लगा है।