बनारस। अजय राय और विवादों का चोली-दामन का साथ है। उनकी धाकड़ और दबंग छवि ही शायद उनको राजनीति में आज उस मुकाम पर ले आई है जहाँ वो कांग्रेस के टिकट पर बनारस से चुनाव लड़ रहे हैं। उस बनारस से जहाँ से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भी चुनाव लड़ रहे हैं और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी चुनाव लड़ रहे हैं। अजय राय को टिकट मिलने से और मुस्लिम नेता मुख़्तार अंसारी के चुनाव ना लड़ने के ऐलान से मुकाबला यहाँ दिलचस्प हो गया है। टिकट मिलने से उत्साहित अजय राय ने वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक से ख़ास बात की।आप तो ख़ुद भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता और नेता थे, विधायक भी रहे अब आप उसी भाजपा के ख़िलाफ और नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ चुनाव लड़ रहे हैं? राय ने कहा कि भाजपा का तो इतिहास ही रहा है कि वो अपने नेताओं को ही ख़त्म कर देती है। चाहे वो बलराज मधोक हों, कल्याणसिंह हों या फिर जसवंतसिंह।
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चुनाव रणनीति पर प्रचार अभियान के बारे में राय कहते हैं कि बनारस के लोग अपनी मिट्टी से जुड़े हैं। हमें जनता इसलिए महत्व देगी क्योंकि हम यहां की संस्कृति और परंपराओं को समझते हैं, जो बाहरी लोग यहां आ रहे हैं वो बनारस की गलियों को ही नहीं जानते, ऐसे लोग बनारस का विकास नहीं कर सकते। वे कहते हैं कि यहां बाहर का आदमी आता है और चुनाव जीतकर चला जाता है। लोगों की उम्मीदें तो व्यर्थ ही चली गईं। मगर अब नरेन्द्र मोदी आएं या जोशी, बनारस में बाहर के किसी व्यक्ति को समर्थन नहीं मिलने वाला। इस बार 'धरतीपुत्र' की लड़ाई है। यहां से वही चुनाव जीतेगा जो मिट्टी का लाल है, यहां का भाई है, परिवार का सदस्य है।अरविन्द केजरीवाल की उम्मीदवारी पर अजय राय कहते हैं कि वे अपनी ही ज़बान से फिर जाते हैं। उनमें कोई दम नहीं है। उन्हें अब लगने लगा है कि मुख्यमंत्री का पद छोड़ना उनकी बहुत बड़ी गलती रही है और अपनी ज़मीन से भागे हुए व्यक्ति को कहीं ज़मीन नहीं मिलती। हालांकि बार-बार पार्टी बदलने के आरोप को राय खारिज कर देते हैं, लेकिन स्पष्ट जवाब नहीं दे पाते।