अमेठी में जिससे पूछो वो यही कहता है कि चुनाव तो राहुल गांधी जीतेंगे। इस परिवार ने अमेठी के लिए बहुत कुछ किया है। हर किसी के पास सुनाने के लिए कुछ न कुछ है। मिसाल के तौर पर साइकिल रिक्शा वाले ने बताया कि पहले साठ रुपए सालाना रिक्शा की लायसेंस फीस लगती थी। अब राहुल गांधी ने वो फीस बंद करा दी है। इसी तरह दुकान लगाने वालों से नगर निगम 10 रुपए रोज लिया करता था। मगर राहुल ने यह दस रुपए की वसूली भी बंद करा दी। जितने लोग उतनी बातें। सभी राहुल का गुणगान करते हैं।
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हालांकि कुछ लोग नाराज भी हैं। उनका कहना है जीतेंगे तो राहुल गांधी, पर इस बार उतने वोट नहीं मिलेंगे। कारण यह है कि राहुल गांधी अमेठी आने के नाम पर गेस्ट हाउस में आते हैं और बीस पदाधिकारियों से मीटिंग करके चले जाते हैं। आम लोगों से मिलते ही नहीं। इसका खामियाजा उन्हें भुगतना होगा। जबसे राहुल इस सीट पर आए हैं, तभी से ये दिक्कत है। वर्ना सोनिया गांधी के समय यह नहीं था। सबसे मिलना-जुलना होता था। सोनिया और राहुल की स्टाइल अलग है।
जब लोगों से पूछा कि नंबर दो पर कौन रहेगा, तो इसमें उनका जवाब बंटा हुआ था। कुछ लोग कुमार विश्वास को नंबर दो पर देख रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि स्मृति ईरानी नंबर दो पर रहेंगी क्योंकि भाजपा के चाहने वाले इधर भी बढ़ रहे हैं। फिर मोदी का थोड़ा बहुत इफेक्ट इधर भी है। भाजपा के पास संगठन है। कुमार विश्वास के पास क्या है।
मगर जब कुमार विश्वास के दफ्तर पर जाकर देखा जाए तो सबसे अधिक गहमा-गहमी उन्हीं के दफ्तर में दिखती है। लैपटॉप चल रहे हैं, लोग आ रहे हैं, जा रहे हैं, मतदाता सूची पर काम कर रहे हैं। उन्हें देखो तो लगता है कि चुनाव वही जीतने वाले हैं। इसमें दो राय नहीं कि अमेठी का चुनाव दिलचस्प होने वाला है।
कुमार विश्वास जिस तरह की मेहनत यहां कर रहे है, वैसी तो अरविंद भी वाराणसी में नहीं कर रहे। बाहर से देखने पर यही लगता है कि कुमार विश्वास राहुल को जबरदस्त टक्कर देंगे। गलियों में भी कुमार के होर्डिंग और आम आदमी पार्टी के ऑफिस है। गाड़ियों से भी उनका प्रचार होता है। प्रचार में तो वही अव्वल हैं। मगर ये कांग्रेस की घरू सीट है। यहां साढ़े सोलह लाख वोटर हैं। पूरे लोकसभा क्षेत्र में हजारों गांव हैं। इतनी जल्दी नहीं कहा जा सकता कि कौन नंबर वन कौन दूसरा और कौन तीसरा रहेगा।