आप को बदलना होगा, वरना...
वेबदुनिया चुनाव डेस्क
पिछले कुछ दिनों से लोकसभा चुनाव को लेकर देश में बहुत उत्साह है और जनतंत्र के इस महोत्सव का उत्साह ही लोकतंत्र की आत्मा को जिंदा रखता है। भारत में पिछले 2 दशक से सत्ता मुख्यत: केवल दो ही दलों के पास रही है, हालांकि किसी एक दल के पास पूर्ण बहुमत न होने से गठबंधन की राजनीति आरंभ हुई और इसमें लगातार परिवर्तन होते रहे।
परिवर्तन किसी भी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है और राजनीति में बदलाव न हो तो उसका भ्रष्ट होना तय है। लोकतंत्र का सबसे बड़ा महत्व है कि कोई भी व्यक्ति या समूह अपनी स्वतंत्र विचारधारा प्रस्तुत भी कर सकता है और उसका प्रचार-प्रसार भी कर सकता है। भारत में ऐसा हमेशा से होता आया है। पिछले एक साल में भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया जो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार और महंगाई को लेकर जनता में उपजे क्रोध की अभिव्यक्ति थी। इस बदलाव को राजनीतिक शक्ल मिली आम आदमी पार्टी के गठन से। लेकिन, कई बार बदलाव जब एकाएक होता है तो स्थापित व्यवस्था बुरी तरह से हिलने लगती है, ठीक उसी तरह जैसे कोई इमारत भूकंप के आने पर थर्राती है। आप का उदय एक ऐसा ही अचानक से हुआ बदलाव साबित हुआ, जिसने भारतीय राजनीति की स्थापित शक्तियों को हिलाकर रख दिया है।
अगले पन्ने पर, सकारात्मक सोच से आम आदमी पार्टी का जन्म...
आप के उदय से बड़ी राजनीतिक पार्टियों की तानाशाही और मौकापरस्त क्षेत्रीय दलों से त्रस्त जनता को एक नया विकल्प दिखा जिसे उन्होंने दिल खोलकर समर्थन दिया। अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद से देश में एक गजब का माहौल बनने लगा और उम्मीद जागी कि बदलाव हो रहा है और सकारात्मक सोच रखने वाले कई लोग एक नए विकल्प ही राह तकने लगे।