Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

'आम आदमी' की ताकत बढ़ेगी तो ही विकसित होगा देश

इंदौर को बनाऊंगा 'पानीदार' शहर-अनिल त्रिवेदी

Advertiesment
हमें फॉलो करें लोकसभा चुनाव 2014

वृजेन्द्रसिंह झाला

WD
आम आदमी पार्टी (आप) ने तो हाल ही में 'झाड़ू' थामा है, लेकिन पेशे से अभिभाषक अनिल त्रिवेदी वर्षों से हाथ में झाड़ू थामे हुए हैं। वे अपने कार्यालय का स्वयं ताला खोलते हैं और झाड़ू भी खुद ही लगाते हैं। जनआंदोलनों से जुड़े रहे त्रिवेदी ने अब शहर की सफाई के लिए 'झाड़ू' थाम लिया है अर्थात वे इंदौर से 'आप' के लोकसभा के प्रत्याशी हैं। जनसंपर्क और बैठकों का दौर शुरू हो चुका है, फेसबुक के माध्यम से भी लोगों से जुड़ने की कोशिश की जा रही है। प्रस्तुत 'आप' उम्मीदवार अनिल त्रिवेदी से बातचीत के मुख्‍य अंश:

किन मुद्दों के साथ चुनाव मैदान में हैं?
मेरा पहला मुद्दा यह है कि आम आदमी की ताकत कैसे बढ़े। भारतीय लोकतंत्र 65 साल का हो चुका है, लेकिन राजनीति में विकास के नाम पर आम आदमी के सवाल को एक तरफ किया जा रहा है। एकांगी विकास की अवधारणा को आगे बढ़ाया जा रहा है और लोगों के दैनिक जीवन के सवाल, उनका वर्तमान और भविष्य अनदेखा किया जा रहा है। कोई भी देश केवल भौतिक विकास से नहीं बन सकता। उसका शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास सतत चलता रहना बहुत जरूरी है। आज बहुत खाई वाला विकास हो गया है, जो लोग बहुत दौलत वाले हैं वे और दौलत वाले हो रहे हैं और ज्यादातर भारतीयों को जीवन के संघर्ष की विभीषिका का सामना करना पड़ रहा है। एक बच्चा होने के बावजूद माता-पिता के सामने बड़ा प्रश्न होता है कि वे अपनी आमदनी से उसे पढ़ा पाएंगे या नहीं? घर में कोई बीमार हो जाता है तो बीमारी से ज्यादा आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। इलाज, शिक्षा, मकान आदि सब महंगे हो गए हैं। आम आदमी की आर्थिक शक्ति और तेजस्विता को विकसित किए बिना हम देश का विकास नहीं कर सकते?

विकास के लिए आपके पास कोई ठोस प्लान है या कोई सुझाव है?
इंदौर की बस्तियों में हर कोई छोटा-छोटा काम कर रहा है। कोई लुहारी कर रहा है, कोई टॉर्च बना रहा, बहनें रेडीमेड गारमेंट सिलने के काम में लगी हुई हैं। इंदौर की बस्तियों में हजारों की संख्या में लोग सिलाई का काम करते हैं। इन लोगों के कारण इंदौर को देश के नक्शे पर पहचान मिली है। इंदौर की उद्यमिता की तरफ न तो प्रायवेट सेक्टर ध्यान दे रहा है और न ही सरकार ध्यान दे रही है। हमारी पार्टी का ध्यान इस बात पर है कि छोटी-छोटी बस्तियों में काम करने वाले हुनरमंद लोगों की ताकत को कैसे बढ़ाया जाए। उनकी मदद कैसे की जाए। उनकी मदद करने में सफल हुए तो हम नया इंदौर बना देंगे। इंदौर सरकारी शहर नहीं असरकारी शहर है, यहां जो कुछ भी हुआ है वह असरकारी लोगों के कारण हुआ है। चाहे अस्पताल बने हों, चाहे शिक्षण संस्थाएं बनी हों या फिर कालोनियों का विकास हुआ हो, इसमें सरकार की भूमिका न के बराबर है।

क्या वर्तमान सांसद लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरी हैं?
ये इस चुनाव में सिद्ध हो जाएगा कि यहां की सांसद लोगों की उम्मीदों को कितना पूरा किया है। लोग निर्णायक मत देंगे। मुझे लग रहा है कि इंदौर में लोकशक्ति का उदय होगा। मतदाता का मानस बदलाव के लिए तैयार है, वह इसके लिए वोट डालेगा। वही करेगा उनके कार्यकाल का मूल्यांकन। मैं या कोई और सांसद के कार्य का मूल्यांकन करे, उससे बेहतर यह है कि 24 अप्रैल को मतदाता अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट सबके सामने पेश करे।


आम आदमी पार्टी का मुख्य मुकाबला भाजपा से है या फिर कांग्रेस से?
भाजपा और कांग्रेस से मेरा कोई मुकाबला नहीं है, न मैं उनसे मुकाबले की बात सोचता हूं। मेरी सारी राजनीति, आप की सारी राजनीति इंदौर के आम आदमी की ताकत को उभारने की लड़ाई है। हम कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ नहीं लड़ रहे हैं बल्कि आम आदमी की ताकत को इंदौर में स्थापित करने के लिए लड़ रहे हैं। मेरी यह रणनीति नहीं है कि मैं कांग्रेस और भाजपा का कैसा मुकाबला करूंगा, बल्कि मेरा तो यह मानना है कि भाजपा और कांग्रेस यह रणनीति बना रही हैं कि वे आप का कैसे मुकाबला करेंगी।

आपको नहीं लगता कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता छोड़ने में जल्दबाजी की, यदि पार्टी चाहती तो लोकपाल बिल के अलावा भी जनहित के अन्य कार्य कर सकती थी?
हम हमारी सत्ता के लिए नहीं लोगों की सत्ता के लिए हैं। अभी जो काम कर रहे हैं वह भी जिम्मेदारी वाला काम है। भारतीय राजनीति के सूत्र आम आदमी के पास आएं, लोक शाक्ति के पास आएं। लोकतंत्र धन शक्ति, सत्ता शक्ति और कॉर्पोरेट पूंजी के पैरों तले न कुचला जाए और आम आदमी के अरमानों में रंग भरने वाला लोकतंत्र उभरे, इसको लेकर केजरीवाल और करोड़ों हिन्दुस्तानी निकल पड़े हैं और इनकी गति को कोई रोक नहीं सकता। हमारे पास दिल्ली में बहुमत नहीं था और जैसे ही अंबानी के खिलाफ एफआईआर हुई भाजपा और कांग्रेस एक हो गए। देश चुने हुए नेताओं के हाथ में नहीं बल्कि पूंजीपति और कॉर्पोरेट दलालों के हाथ में है। हमारी लड़ाई उन दलालों से भारतीय लोकतंत्र को मुक्त करने की है।

आपके बारे में ऐसी भी चर्चा है कि एक अच्छा आदमी गलत लोगों (पार्टी) से जुड़ गया है?
अच्छा और बुरा बड़ी रिलेटिव चीज है। कौन बुरा है? आम आदमी पार्टी कैसे बुरी है? आम आदमी को बुरा कहना अच्छा लक्षण नहीं है। गरीब, मेहनतकश लोग हिन्दुस्तान के निर्माता हैं। काला धन, भ्रष्टाचार करे वह अच्छा और हिन्दुस्तान का निर्माण करने वाला गरीब बुरा, यह अवधारणा गलत है।

ऐसे आरोप लगते हैं कि आम आदमी पार्टी की कांग्रेस से मिलीभगत है?....पढ़ें अगले पेज पर...


ऐसे आरोप लगते हैं कि आम आदमी पार्टी की कांग्रेस से मिलीभगत है?
हम कांग्रेस से मिलकर काम नहीं कर रहे, बल्कि कांग्रेस और भाजपा काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए उन्हें उखाड़ने का काम हमको करना पड़ रहा है। हमारी राजनीति स्पष्ट है। कहीं दुविधा नहीं है। दुविधा तो कांग्रेस और भाजपा के सामने है। भाजपा को दिल्ली में हमसे ज्यादा सीटें मिलीं, लेकिन उसने सरकार नहीं बनाई। उससे यह सवाल कोई नहीं कर रहा। हम सत्ता के लिए नहीं व्यवस्था बदलने के लिए हैं, जब तक हम सत्ता जनता के हाथ में नहीं दे देते हमारी राजनीति चलती रहेगी। हम ग्राम सभा और मोहल्ला सभाओं को ताकत देना चाहते हैं। हम आर्थिक शक्ति जनता को देने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

आम आदमी पार्टी पहले जनता से पूछकर टिकट बांटती थी, लेकिन अब ऊपर से टिकट थोपे जा रहे हैं, जनता की राय नहीं ली जा रही है, ऐसा क्यों?
सारी प्रक्रिया यथावत है। मैंने पार्टी से टिकट नहीं मांगा था, इंदौर की जनता और जनसंगठनों ने जो फीडबैक दिया है, उसी आधार पर मुझे टिकट मिला। राजमोहन गांधी, मेधा पाटकर जैसे दिग्गज पार्टी में शामिल हुए हैं, ये अपवाद हो सकते हैं। कोई भी पार्टी इस स्तर के लोगों को रणनीतिक रूप से खुद ऑफर करती है। अब देखिए, हमारे कारण कांग्रेस में पूछकर टिकट देना शुरू हो गया है। यह आम आदमी पार्टी की उपलब्धि ही तो है कि जिस पार्टी की सारी शक्तियां सोनिया गांधी और राहुल गांधी में केन्द्रित थीं, वह पार्टी कार्यकर्ताओं की राय को अहमितयत देने लगी है।

webdunia
WD


कितनी सीटों की उम्मीद है?
यह मतदाता का विशेषाधिकार है। हमें इस प्रपंच में नहीं पड़ना है। मैं इसे पाखंड मानता हूं कि मैं जीतूंगा या वो हारेगा। हिन्दुस्तान का मतदाता जो चाहेगा वो होगा, लेकिन इतना तय है कि बदलाव का माइंडसेट बन चुका है और इंदौर का मतदाता बदलाव के लिए तैयार है। हिन्दुस्तान में भी बदलाव की लहर है। लोकशक्ति का उदय होगा और आम आदमी की ताकत बढ़ेगी।

चुनाव आचार संहिता लगने के बाद एक तरफ गुजरात में केजरीवाल को रोक दिया जाता है, दूसरी ओर उनकी गिरफ्तारी की अफवाह के बाद आप कार्यकर्ता दिल्ली में प्रदर्शन और हिंसा पर उतारू हो जाते हैं, क्या यह उचित है?

दोहरे मापदंड है। गुजरात में चुनाव की घोषणा होते ही अरविन्दजी को तो रोक दिया जाता है, लेकिन उसके एक दिन बाद ही मध्यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री अपने मंत्रिमंडल समेत धरने पर बैठ जाते हैं और चुनाव आचार संहिता और धारा 144 का उल्लंघन किया जाता है। यह दोहरा मापदंड नहीं है क्या? मप्र का मंत्रिमंडल लोकतंत्र का मखौल उड़ाता है और चुनाव आयोग मूकदर्शक बना रहता है। शिवराज और मंत्रिमंडल पर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। सरकार को भी कानून का पालन करना चाहिए।

इंदौर को लेकर आप क्या सोचते हैं?
इंदौर को अराजकतापूर्ण तरीके से विस्तारित किया जा रहा है। 29 गांवों को शहर में मिलाने की कोशिश असंवैधानिक हरकत है। राज्य शासन मनमानी पर तुला है। हमारे पास पीने का पानी नहीं है। प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर शहर का विकास होना चाहिए। नगर निगम और आईडीए को मिलाकर मजबूत शहरी सरकार बनानी चाहिए। इनके मिलने से अक्षमता सक्षमता में बदल जाएगी।

इंदौर में वाहनों की संख्‍या को नियंत्रित किया जाना चाहिए। यह नई बात नहीं है सिंगापुर में ऐसा होता है। जिसके पास पार्किंग की जगह नहीं है वह कार नहीं खरीद सकता। यहां जिसके पास जगह नहीं वह तीन-तीन कार खरीद लेता है। उसका नतीजा यह है कि सड़क की गतिशीलता समाप्त हो गई है। आप पूरे इंदौर को भी तोड़ डालेंगे तो भी काम नहीं चलेगा। ट्रॉफिक जाम की वजह से 75 रुपए का पेट्रोल 100 रुपए लीटर पड़ रहा है।

पुरानी बस्तियों को तोड़कर इंदौर का हैरिटेज बिगाड़ाजा रहा है। टेक्नीकल एजुकेशन के नाम पर नौजवानों से छल किया जा रहा है। फीस ज्यादा है, लेकिन शिक्षा में गुणवत्ता नहीं है। युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाती, कैंपस में कंपनियां नहीं आतीं। युवाओं के सपनों को निराशा में मत बदलो। विज्ञान शिक्षा का बुरा हाल है। हम चाहते हैं कि नौजवानों के सपने ध्वस्त न हों, वरिष्ठजन अनमने न हों। राजनीति का मतलब केवल लच्छेदार भाषण नहीं है। मैं शकल की नहीं अकल की राजनीति इंदौर में प्रारंभ करना चाहता हूं।

इंदौर में छह साल से धारा 144 लगी है, लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि बोलने को तैयार नहीं है। क्या यह अशांत शहर है? 16 लाख वाहनों का धुआं लोगों को बीमार बना रहा है। हमें यह तय करना होगा कि हम अस्त व्यस्त इंदौर चाहते हैं या व्यवस्थित और साफ सुथरा इंदौर चाहते हैं। यह हमारा सबसे बड़ा मुद्दा भी है। निगम के साथ लोगों को भी सुधरना होगा। हम खुद तय करें कि घर कैसे जीरो कचरे पर आए। इंदौर साफ सुथरा हो जाएगा।

यदि मैं सांसद बना या न बना तो भी मैं इन सवालों को ताकत से उठाऊंगा कि स्वच्छ इंदौर कैसे बने, स्वस्थ इंदौर कैसे बने। बेपानी इंदौर को पानीदार कैसे बनाएं, यह आम आदमी पार्टी और अनिल त्रिवेदी के जीवन का उद्देश्य है। हमारा कहना है कि आम आदमी की ताकत बढ़ेगी तो इंदौर की ताकत भी बढ़ेगी

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi