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राहुल गांधी

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मनमोहन सिंह की घोषणा के बाद कि अगर 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए की जीत होती है तो वे प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। राहुल गांधी ही कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे। इस बार देखना है कि कांग्रेस के युवराज यूपीए की हैटट्रिक बनवा पाते हैं या नहीं।

मनमोहन सिंह की घोषणा के बाद कि अगर 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए की जीत होती है तो वे प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। राहुल गांधी ही कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे। इस बार देखना है कि कांग्रेस के युवराज यूपीए की हैटट्रिक बनवा पाते हैं या नहीं।

राहुल गांधी का जन्म 19 जून, 1970 को भारत के राजनीतिक रूप से सबसे ताकतवर परिवार गांधी परिवार में हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के पुत्र और श्रीमती इंदिरा गांधी के पोते राहुल अपने माता-पिता की दो संतानों में बड़े हैं और प्रियंका गांधी वढेरा के बड़े भाई हैं।

संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुत्र राहुल की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में हुई थी, इसके बाद वे प्रसिद्ध दून स्कूल में पढ़ने चले गए जहां उनके पिता राजीव ने भी शिक्षा ग्रहण की थी। 1981-83 तक सुरक्षा कारणों के कारण राहुल को अपनी पढ़ाई घर से ही करनी पड़ी। राहुल ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से सन 1994 में अपनी कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद सन 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एमफिल की डिग्री हासिल की।

स्नातक की पढ़ाई के बाद राहुल ने प्रबंधन गुरु माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी मॉनीटर ग्रुप के साथ 3 साल तक काम किया। इस दौरान वे यहां छद्म नाम 'रॉल विंसी' के नाम से कार्य करते थे। सन 2002 के अंत में वे मुंबई में अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी से संबंधित एक आउटसोर्सिंग कंपनी के चलाने के लिए भारत लौट आए।

वर्ष 2003 में राहुल गांधी ने राष्ट्रीय राजनीति में रुचि लेना प्रारंभ किया। वे सार्वजनिक समारोहों में अपनी मां श्रीमती सोनिया गांधी के साथ दिखाई देने लगे। मार्च 2004 में चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उन्होंने राजनीति में अपने प्रवेश की घोषणा की, जिसमें वे अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से लोकसभा के लिए खड़े हुए और लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।

2007 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए एक उच्च स्तर के कांग्रेस अभियान में उन्हें प्रमुख व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया। हालांकि पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इससे राहुल को काफी आलोचना भी झेलना पड़ी थी।

राहुल को 24 सितंबर 2007 में पार्टी सचिवालय के एक फेरबदल में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव नियुक्त किया गया। उसी फेरबदल में, उन्हें युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। उनकी छवि कांग्रेस में एक युवा नेता के रूप में उभरी।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 333000 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया। इन चुनावों में कांग्रेस ने 80 लोकसभा क्षेत्रों वाले राज्य में 21 सीटें जीतकर राज्य में पार्टी में नए उत्साह का संचार किया। उस समय इस बदलाव का श्रेय भी राहुल गांधी को दिया गया।

हालांकि उनके कुछ बयानों से विवाद की स्थिति भी निर्मित भी हुई, जिसके कारण पूरी कांग्रेस को उनके बचाव के लिए आगे पड़ा। राहुल ने 1971 में पाकिस्तान के टूटने को, अपने परिवार की 'सफलताओं' में गिनाया, जिससे उन्हें काफी आलोचनाएं भी झेलना पड़ी थीं। बाबरी मस्जिद मामले में भी उन्होंने विवाद को हवा दी थी। हालांकि राहुल की असली परीक्षा अभी होना बाकी है।

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