Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

शिवानंद तिवारी

हमें फॉलो करें शिवानंद तिवारी
FILE
भारतीय संसद में राज्‍यसभा के सदस्‍य और जदयू के नेता शिवानंद तिवारी का जन्‍म 9 दिसंबर 1943 को बिहार के भोजपुर जिले के रामदिहरा में हुआ था।

पिता रामानंद तिवारी और माता शुभलक्ष्मी देवी ने पुत्र शिवानंद को प्रारंभिक शिक्षा भोजपुर से ही दिलवाई। स्‍नातक की पढ़ाई भोजपुर कॉलेज से शुरू की, मगर परिवार की नाजुक स्‍थिति को देखते हुए उन्‍होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।

इसके तुरंत बाद वे राजनीति में आ गए। 13 अप्रैल 1965 को उनकी शादी बिमला तिवारी से हुई। उनकी दो बेटियां व दो बेटे हैं।

पहली बार तब जेल गए, जब 1965 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के 'घेरा डालो आंदोलन' में भाग लिया। इसी वर्ष पटना के गांधी मैदान में धारा 144 के उल्लंघन डॉ. लोहिया की गिरफ्तारी के विरोधस्वरूप चल रही बैठक में शामिल होकर पुलिस लाठीचार्ज का बहादुरी से सामना किया।

दिल्ली में जनवाणी दिवस के मौके पर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के साथ प्रदर्शन किया और 1970 में पटना में 'अंग्रेजी हटाओ' आंदोलन में काला झंडा दिखाया। दिल्ली में 'कच्छ आंदोलन' को लेकर गिरफ्तार किए गए। इसी आंदोलन के लिए 1974 में चार बार जेल यात्राएं करना पड़ीं।

आपातकाल के दौरान 17 महीने और 18 दिन के लिए मीसाबंदी के तहत जेल में रहे और प्रेस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करने पर भी गिरफ्तार हुए और करीब डेढ़ महीने तक जेल की हवा खाई। कर्पूरी ठाकुर द्वारा सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए चलाए जा रहे आरक्षण के मुद्दे पर गांधी मैदान पर चल रही लोक नायक जयप्रकाश नारायण की सभा के दौरान भी गंभीर यातनाएं सहीं।

1970 में समजावादी युवजन सभा बिहार के समन्वयक, 1977 में युवा जनता के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, 1980 में समता संगठन बेंगलुरु के संस्थापक समन्वयक और 1991 में बिहार सिटीजन काउंसिल उपाध्यक्ष बनाए गए। इसके अलावा 1967 में समाजवादी युवजन सभा की राज्य समिति, 1971 में समाजवादी युवजन सभा की राष्ट्रीय समिति और 1974 में जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए आंदोलन के दौरान संघर्ष समिति की संचालन समिति के सदस्य रहे।

शिवानंद तिवारी शुरू में राजद की ओर से क्षेत्रीय राजनीति करते रहे। लंबे समय तक पंचायत, जिला सचिव, अध्‍यक्ष का कार्यभार देखने के बाद पहली बार 1996 में बिहार विधानसभा की भोजपुर सीट से जीतकर सदस्‍य बने। 2000 में वे एक बार फिर राज्‍य विधानसभा के लिए चुन लिए गए।

2008 में पहली बार भोजपुर लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर राज्यसभा के सदस्‍य बने और मई 2008 में वक्फ पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्‍य बने। इसी दौरान तिवारी फाइनेंस कमेटी के सदस्‍य तथा गृह मंत्रालय के परामर्शदात्री समिति के सदस्‍य बने।

2009 में वे राजभाषा कमेटी के सदस्‍य तथा अचार संहिता पर बनने वाली कमेटी के भी सदस्‍य बने। अगस्‍त 2009 में वे विदेशी मामलों की कमेटी के सदस्‍य और रक्षा मामलों की कमेटी के परामर्शदात्री सदस्‍य बने। सितंबर 2009 में वे विधानसभा संबंधित कमेटी के तथा दिसंबर 2009 में ही वे समान्‍य प्रयोजन कमेटी के सदस्‍य बने।

2010 में शिवानंद तिवारी राजद छोड़ जदयू में शामिल हो गए, जहां उन्‍हें बिहार जदयू का जनरल सेक्रेटरी व प्रवक्‍ता बनाया गया। इसके बाद वे नीतीश कुमार की सरकार में अगस्‍त 2010 में तकनीक और विज्ञान कमेटी तथा वन एवं पर्यावरण कमेटी के सदस्‍य बने। अगस्‍त 2012 से कृषि मंत्रालय की कमेटी के मुख्‍य सदस्‍य बनकर राज्य को अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सचिन तेंदुलकर को 'भारत रत्न' दिए जाने पर उन्होंने ऐतराज जताते हुए कहा था कि उनके पास पहले ही इफ्रात पैसा है। साथ ही यह भी कहा कि क्रिकेट हमारे सारे खेलों को खत्म कर गया। हॉकी में कोई अच्छा प्रदर्शन करता भी है, तो सरकार उसे लाख रुपए देने में भी हिचकिचाती है।

खेल मंत्रालय ने सचिन तेंदुलकर के लिए नहीं, बल्कि हॉकी के जादुगर मेजर ध्यानचंद के लिए 'भारत रत्न' की अनुशंसा की थी, जिन्होंने गुलामी के दौर में हॉकी खेलते हुए ऑलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाए। क्रिकेट में खिलाड़ी पहले ही करोड़ों कमा रहे हैं, उस पर आप उन्हें भारत रत्न से भी नवाज़ा जा रहा है। अब तो दीपिका पादुकोण भी अपने पिता के लिए भारत रत्न की मांग कर रही हैं। इससे तो अच्छा है कि भारत रत्न देने की परंपरा ही बिल्कुल समाप्त कर देना चाहिए।

अक्टूबर 2013 में राजगिर में एक सभा को संबोधित करने के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के विरोध में टिप्पणी कर मुसीबत सिर ले ली थी। उन्हें सुनने आए उनके समर्थक और उन्हीं के कार्यकर्ता मोदी की बात करने पर बिफर पड़े थे।

जेडीयू से राज्यसभा टिकट नहीं दिए जाने से नाराज शिवानंद तिवारी ने 2 फरवरी 2014 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अहंकारी होने का आरोप भी लगाया है। शिवानंद ने कहा कि जो उनके सुर में सुर नहीं मिलाएगा, जेडीयू में उसकी कोई जगह नहीं है। नीतीश पर यह आरोप शिवानंद ने जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को लिखे एक पत्र में लगाया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi