उत्तरप्रदेश के कद्दावर नेता और समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को आज़मगढ़ (उत्तरप्रदेश) में पिता हरीशचंद्र सिंह और माता शैलकुमारी सिंह के घर हुआ।
शायराना तबीयत के लिए मशहूर अमरसिंह ने कोलकाता के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ से बीए, एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त की।
दिल्ली में अमरसिंह उस वक़्त बुलंदी पर आए, जब संप्रग सरकार के अमेरिका के साथ प्रस्तावित परमाणु समझौते के कारण भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था और सरकार अल्पमत में आ गई थी। उस समय उनकी समाजवादी पार्टी ने अपने 39 सदस्यों के साथ संप्रग सरकार को समर्थन देने का वचन दिया था।
कभी समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह के दाहिने हाथ माने जाने वाले अमर सिंह पर पर भ्रष्टाचार के कई मामले भी चल रहे हैं। नवंबर 1996 में वे राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए हैं। 2008 में मनमोहन सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने की बहस के दौरान समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव अमर सिंह, लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहायक सुधींद्र कुलकर्णी, बीजेपी के दो सांसदों और दो अन्य को दिल्ली की एक अदालत ने 2008 के वोट के बदले नोट मामले में आरोप मुक्त कर दिया। गौरतलब है कि इस दौरान संसद में एक करोड़ रुपए के नोटों की गड्डियां दिखाई गई थीं। हालांकि, इस मामले में अदालत ने अमर सिंह के पूर्व सहायक संजीव सक्सेना के खिलाफ आरोप तैयार करने का आदेश दिया था।
सांसदों ने आरोप लगाया कि मनमोहन सरकार ने अमरसिंह के माध्यम से उनके वोट खरीदने की कोशिश की थी। 6 सितंबर 2011 को अमर सिंह भाजपा के दो सांसदों के साथ तिहाड़ जेल भेजे गए। 'कैश फॉर वोट' कांड में अमर सिंह को जेल की हवा भी खानी पड़ी।
6 जनवरी 2010 को अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। अमिताभ बच्चन के बुरे समय में अमर सिंह ने उनका बहुत साथ दिया। अमर सिंह ने इसके बाद राष्ट्रीय लोकमंच नाम की पार्टी की स्थापना की। उनके परिवार में पत्नी पंकजा कुमारी सिंह और दो पुत्रियां हैं। अमर सिंह ने कुछ दिनों पहले भारतीय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी।