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जफर अली नकवी

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लोकसभा सदस्‍य और कांग्रेस कार्यकर्ता जफर अली नकवी का जन्‍म उत्‍तरप्रदेश के लखीमपुर में 30 अप्रैल 1948 को हुआ। पिता का नाम मुख्तार हसन और माता आरा बेगम थीं।

ज़फ़र अली की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ से ही हुई। उन्‍होंने कला में स्नातक और एलएलबी की उपाधि लखनऊ विश्‍वविद्यालय से प्राप्त की। निकाह शहनाज़ नक़वी से 9 नवंबर 1974 को हुआ। 2 बेटे हैं। बड़ा बेटा मोनिस नक़वी पायलट है और छोटे बेटे सैफ़ अली नक़वी ने इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट गाज़ियाबाद से एमबीए किया है।
एमबीए के बाद बतौर सामाजिक कार्यकर्ता सेवाएं देते हैं और गैर सरकारी संगठन के लिए भी काम करते हैं। सैफ़, एशियन अकादमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन के अंतरराष्ट्रीय फिल्म और टेलीविजन क्लब के आजीवन सदस्य भी हैं।

ज़फ़र अली नक़वी अल्पसंख्यक शिक्षा की राष्ट्रीय निगरानी समिति की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। इससे पहले उन्होंने अल्पसंख्यक आयोग दिल्ली के अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी सम्हाली थी। ज़फ़र उत्तरप्रदेश के पूर्व गृहमंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें राजीव गांधी का क़रीबी समझा जाता था।

ज़फ़र अली ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत काफी देर से की। 1980 में इन्होंने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लखीमपुर खीरी सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1980-1991 तक उत्तरप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। साथ ही 1980 से 81 तक के लिए उन्हें कांग्रेस (आई) के उत्तरप्रदेश विधान मंडल दल का सचिव बनाया गया।

1980 से 1989 तक उत्तरप्रदेश सरकार में मंत्री रहे। 1984 से 1986 तक उत्तरप्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष के रूप में सेवाएं दीं। 1990 से 1992 तक उन्हें उत्तरप्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव बनाया गया।

1996 से 1999 तक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य के रूप में ज़िम्मेदारी सम्हाली। 2000 से 2003 तक दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाया गया। 2004 से 2009 तक अल्पसंख्यक शिक्षा के स्थाई समिति के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे।

सोनिया गांधी और दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ कांग्रेसियों ने 2009 में 15वें लोकसभा चुनाव में ज़फ़र अली नक़वी को उनकी साफ छवि के कारण उम्मीदवार बनाना चाहा। नक़वी चुनाव लड़े और जीत भी दर्ज की। 31 अगस्त 2009 को विदेश मामलों संबंधी समिति के सदस्य मनोनीत किए गए।

ज़फर ने अपने वादे के मुताबिक़ अपने जिले की मीटर गेज लाइन को मात्र 22 महीनों में ब्रॉड गेज में बदलवा दिया था। वो अपने क्षेत्र के राजनीतिज्ञों के बीच एक आदर्श के रूप में उभरे। अपने निर्वाचन क्षेत्र लखीमपुर में आई बाढ़ की त्रासदी के बाद क्षेत्र के विकास हेतु चलाए गए अभियान के लिए उन्होंने देशभर में प्रशंसा प्राप्त की। लखीमपुर में एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में याद किया जाता है। एक ऐसा व्यक्ति, जिसने व्यापारियों, किसानों और लखीमपुर खीरी के आम आदमी के चेहरे पर फिर से मुस्कान बसा दी।

उर्दू काव्य और वन्य जीवन संरक्षण उनके विशेष अभिरुचियों के विषय हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालयीन एथलीट स्पर्धा में चैंपियन भी रहे। वन्य जीव के संरक्षण हेतु कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान में 'प्रोजेक्ट टाइगर' लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाई। केन्या, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों की यात्राएं की हैं।

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