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तब चुने जाते थे एक सीट से दो सांसद..!

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नई दिल्ली , मंगलवार, 18 मार्च 2014 (14:23 IST)
नई दिल्ली। आजादी के बाद 1951 में देश में हुआ पहला आम चुनाव करीब चार महीने चला था और इस आम चुनाव का रोचक पहलू यह रहा कि इस चुनाव में 86 संसदीय क्षेत्र दो सीटों वाले और एक संसदीय क्षेत्र तीन सीटों वाला था।
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पूर्व मुख्य चनाव आयुक्त जीवीजी कृष्णमूर्ति ने कहा कि अभी एक संसदीय क्षेत्र से मतदाता एक सदस्य को चुनते हैं, लेकिन 1962 से पहले दो सदस्यीय और बहु सदस्यीय संसदीय क्षेत्र भी थे। इन बहुसदस्यीय संसदीय क्षेत्रों से एक से अधिक सदस्य चुने जाते थे। बहुसदस्यीय संसदीय क्षेत्र की व्यवस्था को 1962 में समाप्त कर दिया गया।

पहला लोकसभा चुनाव अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 के बीच 401 संसदीय क्षेत्रों में 489 सीटों के लिए हुआ था। उस चुनाव में 314 संसदीय क्षेत्र एक सीट वाले और 86 संसदीय क्षेत्र दो सीटों वाले थे जबकि पश्चिम बंगाल का एक संसदीय क्षेत्र तीन सीटों वाला था।

बहुसंसदीय सीटों वाले क्षेत्रों के मतदाताओं को उतने प्रत्याशियों को वोट देने का अधिकार होता था जितनी उस क्षेत्र में सीटों की संख्या होती थी। दूसरा लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ और इसमें 403 संसदीय क्षेत्रों की 494 सीटों के लिए चुनाव हुआ था। इस आम चुनाव में 312 संसदीय क्षेत्र एक सीट वाले और 91 संसदीय क्षेत्र दो सीटों वाले थे। इसमें कोई भी संसदीय क्षेत्र तीन सीटों वाला नहीं था।

दूसरा आम चुनाव 1962 में हुआ था, जिसमें पहली बार बहुसंसदीय सीटों की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। इस चुनाव में 91 संसदीय क्षेत्रों के लिए दो सीटों की व्यवस्था को समाप्त किया गया और इसके बाद से एक संसदीय क्षेत्र से एक सदस्य के चुने जाने का प्रावधान किया गया। 1951 में हुआ पहला चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण रहा। उस चुनाव में कांग्रेस के प्रभुत्व के बीच 47 निर्दलीय सदस्य भी चुने गए।

प्रथम चुनाव में देश के भविष्य के तीन प्रधानमंत्री भी चुने गए जिसमें मोरारजी देसाई, गुलजारी लाल नंदा और लाल बहादुर शास्त्री शामिल हैं। इस चुनाव में दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री रहे चौधरी ब्रह्मप्रकाश सांसद के तौर पर चुने गए। पहले आम चुनाव में सबसे अधिक 86 सीटें उत्तरप्रदेश में, 75 सीटें मद्रास में और 55 सीटें बिहार में थीं। (भाषा)

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