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कौन होगा नरेन्द्र मोदी का विदेश मंत्री?

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नई दिल्ली , गुरुवार, 8 मई 2014 (14:43 IST)
नई दिल्ली। बहुत सारे किंतु-परंतु और शंकाओं को दरकिनार करते हुए अगर यह मान लिया जाए कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री बन गए तो एक अहम सवाल हो सकता है कि मोदी सरकार में विदेश मंत्री कौन होगा? यह तो सभी जानते हैं कि अर्थव्यवस्था और प्रशासनिक कुशलता के लिए तो मोदी के पास पहले से ही गुजरात मॉडल है और जानकार सूत्रों का कहना है कि अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा पर उनकी क‍ड़ी निगाह होगी। लेकिन, इसके साथ ही राजनय और सामरिक महत्व के मामले भी उनके लिए कड़ी चुनौती हो सकते हैं।
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भारत के पड़ोसी देशों और विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन को लेकर भारत को कड़े फैसले लेने होंगे।‍ स्थिति यह है कि भारत के सबसे अच्छे दोस्त अमेरिका के साथ भी संबंध खराब हो गए हैं। मोदी को वीजा न देने का अमेरिकी फैसला भी पुराने घाव के रूप में सामने आएगा। व्यापार नीति और कौंसुलर मुद्‍दों- जैसे कि देवयानी खोबरागड़े के मामलों को बड़ी कुशलता से संभालना होगा। इसके लिए मोदी को एक मजबूत और दूरदर्शी टीम की जरूरत पड़ेगी जोकि महत्वपूर्ण विदेश नीति जैसे मामलों पर उन्हें लगातार मार्गदर्शन दे सके। इसलिए सबसे बड़ा सबाल है कि मोदी किसे अपना विदेश मंत्री बनाएंगे?

ये कुछ नाम हैं, जो हो सकते हैं विदेशी मंत्री... पढ़ें अगले पेज पर...


इस पद के लिए सर्वाधिक उपयुक्त दावेदार यशवंत सिन्हा हैं, जिन्होंने राजग गठबंधन की वाजपेयी सरकार में यह पद कुशलता से संभाला था। सिन्हा ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन उन्हें राज्यसभा सदस्य के तौर पर संसद में लाया जा सकता है। लेकिन भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के अन्य कई बड़े नेता भी इस पद के दावेदार हैं जिनमें सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद के नाम भी शामिल हैं। पर पार्टी के अंदरूनी नेताओं का कहना है कि सुषमा, मोदी के विश्वासपात्र लोगों में से नहीं हैं और तब शायद वे उन्हें विदेश मंत्री नहीं बनाना चाहें।

लेकिन, वे अपनी वाकपटुता और तर्कों को रखने के कौशल के कारण जानी जाती हैं इसलिए संभव है कि मोदी भी उनके नाम पर विचार करें तो इसका एक लाभ उन्हें यह होगा कि वे अपनी एक प्रमुख विरोधी को देश से बाहर के मामलों में उलझा सकेंगे और ‍नई दिल्ली में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकेंगे। जहां तक दूसरे लोगों की बात है तो कहा जा रहा है कि मोदी के दाहिने हाथ अमित शाह को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री बनाया जा सकता है।

और कौन हो सकता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार... पढ़ें अगले पेज पर...


इसी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद के लिए भी तीन नामों की चर्चा चल रही है। इस पद के लिए खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व प्रमुख अजित डोवाल का नाम सामने आता है। आतंकवादी रोधी ऑपरेशन्स के लिए उन्हें जाना जाता है।

विदेश संबंधी मामलों के विशद जानकार हरदीपसिंह पुरी की भी सेवाएं ली जा सकती हैं, लेकिन पार्टी में ऐसे लोग मौजूद हैं जोकि यह बता सकते हैं कि उनकी लालकृष्ण आडवाणी और जसवंत सिंह से निकटता है और यह बाद उनके खिलाफ जा सकती है।

इस पद के एक और दावेदार पूर्व विदेश सचिव श्याम शरण हो सकते हैं ज‍िन्होंने अपने कार्यकाल में मॉरीशस में भारत-मारीशस संबंधों को मजबूत बनाया था। वे उद्योगपत्तियों के 'मुंबई क्लब' से भी जुड़े हैं और उनका समर्थन भी शरण को मिल सकता है। लेकिन उनकी सबसे बड़ी कमी यह मानी जा सकती है कि वे मनमोहन सिंह के बहुत करीब रहे हैं और उन्होंने शरण को विशेष दूत भी बनाया था।

दौड़ अभी भी खुली हुई है और हर कोई मैदान में है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या टीम मोदी लोकसभा चुनावों में इतनी सीटें जीतने में कामयाब हो सकती है कि मोदी सात रेस कोर्स रोड में पहुंच सकें।

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