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मोदी के बारे में क्या सोचते हैं सलमान रश्दी...

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न्यूयॉर्क , मंगलवार, 6 मई 2014 (17:05 IST)
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न्यूयॉर्क। भारतीय मूल के लेखक सलमान रश्दी ने चिंता व्यक्त की है कि भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो सरकार बनेगी वह एक ‘परेशान करने वाली’ सरकार होगी और अगर भाजपा सत्ता में आती है तो देश में अभिव्यक्ति की आजादी का हाल पहले से बदतर हो सकता है।

यहां पर चल रहे दसवें वार्षिक ‘पेन वर्ल्ड वॉयस फेस्विटल’ के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व पर केंद्रित एक सत्र के दौरान रश्दी ने कहा कि मैं नरेंद्र मोदी की सरकार को लेकर खासा चिंतित हूं। ऐसे संकेत मिलने लगे हैं कि यह एक परेशान करने वाली सरकार होगी। हम ये देखते हैं कि अभी तक (भाजपा द्वारा) सत्ता हासिल नहीं करने के बावजूद पत्रकारों और लेखकों को परेशान किया जाता है।

मोदी के नेतृत्व में बनने वाले भारत को लेकर उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि आपने देखा है कि एक तरह की परेशान करने वाली सेंसरशिप है, लोग चिंतित हैं कि उन्हें परेशान किया जा रहा है और इसलिए कोशिश करते हैं कि कुछ ऐसा न करें जिससे उन्हें ‘मोदी समर्थकों के प्रकोप का सामना करना पड़े'।

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रश्दी ने कहा कि भारत में नरेंद्र मोदी की तरह का कभी कोई राजनेता नहीं हुआ और उन्होंने कहा कि भाजपा के लोकसभा चुनाव जीतने और मोदी के अगला प्रधानमंत्री बनने की अधिक संभावना है और हमें यह देखना होगा कि प्रधानमंत्री पद उन्हें कितना उदार बनाता है।

फेस्टिवल में अपने साहित्यिक संबोधन के दौरान रश्दी ने मोदी को 'बहुत की विभाजनकारी शख्सियत’ और ‘कट्टरपंथियों का कट्टरपंथी’ बताया और चिंता जताई कि अभिव्यक्ति की आजादी और साहित्यिक कार्य पर हमले भाजपा शासित भारत में और बढ़ जाएंगे।

उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र का मतलब सिर्फ निष्पक्ष चुनाव कराना नहीं है बल्कि नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को सुनिश्चित करना भी है। रश्दी ने कहा कि अगर अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में हो, धार्मिक स्वतंत्रता पर खतरा हो और अगर समाज का एक बड़ा वर्ग अपनी सुरक्षा को लेकर डर के साए में हो तो ऐसे समाज को सच्चा लोकतंत्र नहीं कह सकते हैं।

रश्दी ने कहा कि जब से समकालीन भारत में मेरी पुस्तक सैटेनिक वर्सेज को प्रतिबंधित किया गया है तब से ये सारी परेशानियां अस्तित्व में आई हैं तथा और बदतर होती जा रही हैं। साहित्यिक, अकादमिक और कला की आजादी पर खतरा और बढ़ जाएगा।

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उन्होंने कहा कि पहले से ही खराब हो रहे हालात में और गिरावट आने की आशंका है। चुनाव के परिणामस्वरूप हिन्दू राष्ट्रवादी भाजपा यदि सत्ता में आई और बेहद विभाजनकारी शख्सियत और कट्टरपंथियों के कट्टरपंथी नरेंद्र मोदी अगर भारत के प्रधानमंत्री हो जाएंगे तो इससे स्थितियां और बदतर होंगी। रश्दी और मूर्तिकार अनीश कपूर उन भारतीय मूल के लेखकों, कलाकारों और वकीलों के समूह में शामिल हैं, जिन्होंने पिछले महीने एक खुला पत्र लिखा था जिसमें ‘सत्ता में मोदी के उभार के बारे में चिंता’ जताई थी।

रश्दी ने कहा कि पत्र के बाद ‘भारतीय सोशल मीडिया पर हम पर हमला हमारे डर को सही ठहराता है'। उन्होंने कहा कि हम ऐसे नए शासन से चिंतित हैं जो परेशान करने वाला और असहनशील हो। इसके धमकाने और बदला लेने के लक्षण अभी से मौजूद हैं और मोदी की जीत के बाद यह कम नहीं होने वाले हैं।

उन्होंने भारत में वेंडी डोनियर की पुस्तक 'हिन्दूज' और एमएफ हुसैन के निर्वासन का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं रोज बढ़ रही हैं और अधिकारी अभिव्यक्ति की आजादी को सुरक्षित करने का अपना दायित्व निभाने में विफल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गुंडों और सेंसर से डर का वातावरण बनाया जा रहा है जिससे अभिव्यक्ति की आजादी के रक्षकों को डराया जा रहा है। रश्दी ने कहा कि भारत में अपने रवींद्रनाथ ठाकुर जैसे महान लोगों और कलाकारों की विरासत को भुला देने का खतरा पैदा हो गया है। (भाषा)

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