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स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत है दूरदर्शन: नरेंद्र मोदी

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हमें फॉलो करें नरेंद्र मोदी
अहमदाबाद , शनिवार, 3 मई 2014 (15:58 IST)
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अहमदाबाद। दूरदर्शन पर अपने साक्षात्कार पर उठे विवाद के बीच भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को सार्वजनिक प्रसारण में पत्रकारिता संबंधी स्वतंत्रता में ‘कमी’ आने का जिक्र किया और इसे 1975 में आपातकाल की भयावह स्मृतियों से जोड़ा।

मोदी ने अपने साक्षात्कार में काट-छांट पर उठे वाकयुद्ध में शामिल होते हुए यह बात कही। पिछले रविवार को दूरदर्शन पर प्रसारित उनके साक्षात्कार के कुछ अंशों को हटा दिया गया था और इसके देर से प्रसारित करने पर भी विवाद खड़ा हो गया।

शनिवार को 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस' पर पत्रकारों को शुभकामना देते हुए मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि इस दिन मैं यह देखकर दुखी हूं कि हमारा राष्ट्रीय टीवी चैनल अपनी पेशेवर स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।

इस अवसर पर मोदी लोगों को यह याद दिलाना नहीं भूले कि 1975 में दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाया गया था और तब मीडिया पर प्रतिबंध लगाए गए थे।

मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि पत्रकार बंधुओं को विश्व प्रेस दिवस पर शुभकामनाएं! स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र का मील का पत्थर है और इसे सही अथों में बनाए रखा जाना चाहिए।

ऐसी खबरें आने के बाद विवाद उत्पन्न हो गया था जिसके अनुसार मोदी ने कहा था कि प्रियंका गांधी उनकी बेटी के समान है। इसे न तो प्रियंका और न ही कांग्रेस ने सराहा था। लेकिन बाद में यह बात सामने आई कि मोदी ने ऐसी बात नहीं कही थी।

एक अन्य बयान पर विवाद उत्पन्न हुआ जिसमें मोदी ने सोनिया गांधी के करीबी सहयोगी अहमद पटेल से अपनी निकटता होने का जिक्र किया था। पटेल ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया था।

साक्षात्कार में मोदी की इन बातों को काट दिया गया लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से यह बात सार्वजनिक हो गई।

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि इस मुद्दे पर राई का पहाड़ बनाने की कोशिश की जा रही है जबकि कुछ विश्लेषकों का आरोप है कि जब भी मौका मिलता है, तब कांग्रेस और भाजपा दूरदर्शन का दुरुपयोग करते हैं।

इस विषय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मेरा ध्यान इन खबरों पर दिलाया गया, जो प्रसार भारती के संबंध में मीडिया के एक वर्ग में आई है। मैंने पहले भी कहा है और फिर यह कहने की अनुमति चाहता हूं कि संसद के कानून के तहत प्रसार भारती की स्वायत्तता की गारंटी दी गई है।

उन्होंने कहा कि प्रसार भारती का संचालन बोर्ड करता है और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इससे कुछ फासला बनाकर आगे चलता है। वास्तव में जहां तक स्वायत्तता का सवाल है, जब मैंने अक्टूबर 2012 में मंत्रालय का कार्यभार संभाला तब मेरे और तत्कालीन सचिव उदय कुमार वर्मा की पहल से सैम पित्रोदा समिति का गठन किया गया था। (भाषा)

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