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कांग्रेस के चुनाव कैंपेन की खास बातें

-वेबदु‍निया चुनाव डेस्क

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, मंगलवार, 1 अप्रैल 2014 (11:54 IST)
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इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए अपनी प्रतिष्ठा बचाना सबसे बड़ी चुनौती है और पार्टी इसके लिए हर वह तरीका अपना रही है, जिससे उसे चुनाव में फायदा मिल सके। आइए जानते हैं कांग्रेस के चुनाव कैंपेन की खास बातें जिनमें कुछ सकारात्मक हैं और कुछ नकारात्मक भी। आइए नजर डालते हैं इन्हीं बातों पर...

1. राहुल गांधी में सुधार : पहले राहुल गांधी के चुनावी भाषणों में गांधी परिवार का जिक्र अधिक होता था हालांकि साथ ही वे कांग्रेस पार्टी की भविष्य की योजना भी बताते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के कैंपेन के लिए वे अपने भाषण में नियमित रूप से यूपीए सरकार की उपलब्धियां गिनवा रहे हैं। राहुल अपने भाषण में सूचना का अधिकार से लेकर लोकपाल बिल का जिक्र कर रहे हैं। अपनी पार्टी की उपल्धियों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

अगले पन्ने पर, दिग्गजों को सामने किया...


2. दिग्गजों को सामने किया : कांग्रेस के लिए यह चुनाव अपनी साख बचाने का है इसलिए उसने अपने दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी को उम्मीद है कि बड़े नेताओं के जरिये मतदाताओं को लुभाया जा सकता है। कांग्रेस के कई बड़े नेता जो अब तक राज्यसभा की शोभा बढ़ाते थे, इस बार उन्हें मैदान में आना ही पड़ा।

3. लोगों की राय से बना घोषणापत्र : राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र के लिए मजदूरों, कूली और समाज के अन्य लोगों से बात की और उनकी जरूरतों को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया। कांग्रेस के घोषणा पत्र में इलाज का अधिकार, घर का अधिकार जैसे वादों को निचले तबके के लोगों की जरूरत के अनुसार शामिल किया है।

उम्मीदवारों के चयन में कार्यकर्ताओं की राय...


4. उम्मीदवारों के चयन में कार्यकर्ताओं की राय : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 15 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का चयन कार्यकर्ताओं की राय लेकर किया गया है। हालांकि इस प्रक्रिया पर सवाल भी उठे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की राय वोटिंग के माध्यम से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंची है। पार्टी की इस पहल से कार्यकर्ताओं में विश्वास जागा है।

5. पिछले साल चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने करारी हार का सामना किया, जिससे सबक लेकर पार्टी ने सबसे पहले आपसी फूट को जाहिर नहीं होने देने पर काम किया। कांग्रेस के अंदरूनी हालात कुछ भी हों, लेकिन वरिष्ठ नेता भी अब अपनी बात पार्टी फोरम में ही रख रहे हैं। अन्य पार्टी की अपेक्षा कांग्रेस में फूट दिखाई नहीं दे रही है।

कांग्रेस के चुनावी कैंपेन की नकारात्मक बातें...



कांग्रेस के चुनावी कैंपेन की नकारात्मक बातें :
1. सहारनपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेसी उम्मीदवार इमरान मसूद ने नरेंद्र मोदी के लिए जहर उगलकर पार्टी की छवि खराब की। कांग्रेस इमरान के बचाव में चुनाव आयोग पहुंच गई। इमरान का बचाव करते हुए कांग्रेस ने चुनाव आयोग को खत लिखकर कहा है कि जिस विवादित भाषण को मुद्दा बनाने की कोशिश की गई है वह पिछले साल 18 सितंबर का है और उस समय मसूद समाजवादी पार्टी में थे।

2. कांग्रेस की तरफ से चुनावी भाषण में उपलब्धियां तो गिनाई जा रही हैं, लेकिन बढ़ती महंगाई और पिछली सरकार में हुए भ्रष्टाचार पर कुछ नहीं कहा जा रहा है। पिछले दिनों रुपए की स्थिति में सुधार हुआ। रुपया 60 रुपए प्रति डॉलर के स्तर से नीचे आया तो इस सुधार पर वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि यह हमारी सरकार की कोशिशों का नतीजा है। सवाल यह है कि अब तक यह कोशिश क्यों नहीं की गई?

3. फैसला लेने में देर : कांग्रेस महत्वपूर्ण फैसले लेने में देर कर रही है। कांग्रेस के पिछले अधिवेशन में पार्टी ने अपनी तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की। राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने से पार्टी क्यों डर गई?

भीड़ जुटाना महत्वपूर्ण मुद्दा...


4. उत्तर भारत में चुनाव प्रचार सिर्फ सभाओं तक सीमित लग रहा है। स्थानीय कांग्रेस नेताओं के लिए बड़े नेताओं की सभा के लिए भीड़ जुटाना अन्य सभी बातों से महत्वपूर्ण हो गया है। मध्यप्रदेश, राज्सथान, गुजरात और छत्तीसगढ़ में पार्टी अपने प्रचार में बूथ स्तर में पिछड़ रही है।

5. नेताओं में आत्मविश्वास की कमी : इस बार के चुनाव में कांग्रेस की सबसे नकारात्मक बात है तो वह है इस सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का चुनाव से भागना। ज्यादातर नेता चुनाव लड़ने से कतरा रहे हैं, हालांकि कुछ नेताओं को पार्टी ने जबर्दस्ती चुनाव में उतारा है। पंजाब में अमरिंदरसिंह चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन अब मजबूरी में वे मैदान में हैं। दूसरी ओर केन्द्र में मंत्री मनीष तिवारी ने भी बीमारी के आड़ में चुनाव से पल्ला झाड़ लिया है।

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