Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या तुम जानते हो : गुलमोहर का इतिहास

हमें फॉलो करें क्या तुम जानते हो : गुलमोहर का इतिहास
भारत में गुलमोहर का इतिहास काफी वर्ष पुराना है। इसका संस्कृत नाम 'राज-आभरण' है, जिसका अर्थ राजसी आभूषणों से सजा हुआ वृक्ष है।

श्रीकृष्ण भगवान की प्रतिमा के मुकुट का श्रृंगार गुलमोहर के फूलों से किया जाता है। इसलिए संस्कृत में इसे 'कृष्ण चूड' भी कहते हैं।

भारत के अलावा यूरोप, नाइजीरिया, श्री लंका, ऑस्ट्रेलिया तथा अमेरिका में फ्लोरिडा व ब्राजील में खूब पाया जाता है। यहां तक कि मियामी में तो इसइतना पसंद किया जाता है कि यहां के लोग अपना वार्षिक पर्व भी तभी मनाना पसंद करते है, जब गुलमोहर के पेड़ में फूल आते हैं।

webdunia
FILE


* गुलमोहर मूल रूप से मडागास्कर का पेड़ है।

* गुलमोहर का वानस्पतिक नाम डेलोंक्सि रेजिया है।

* माना जाता है कि 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने मडागास्कर में इसे देखा था।

webdunia
FILE


* फ्रांसीसगुलमोहर को 'स्वर्ग का फूल' कहते हैं। शायसबसे आकर्षक नाम इन्होंनइसदिया है। वास्तव में गुलमोहर का सही नाम 'स्वर्ग का फूल' ही है।

* 18वीं शताब्दी में फ्रेंच किटीस के गवर्नर काउंटी डी. पोएंशी ने इसका नाम बदल कर (अपने नाम से मिलता-जुलता नाम) पोइंशियाना रख दिया।

* रॉयल पोइंशियाना के अतिरिक्त 'फ्लेम ट्री' के नाम से भी जाना जाता है।


webdunia
FILE


* गुलमोहर में मुख्यत: दो रंगों के फूल ही होते है। एक लाल और एक नारंगी।

* इस गुलमोहर के फूल आकार लगभग 13 सेंटी मीटर यानी काफी बड़ा होता है।



* इसकी 5 पंखुड़ियां होती हैं। 4 चार पंखुड़ियों के आकार और रंग में समान होते हैं और 5वीं पंखुड़ी थोड़ी ज्यादा लंबी होती है और उस पर पीले-सफेद धब्बे भी दिखाई पड़ते हैं।

* यह एक फली अथवा मटर की जाति का पेड़ है।

गुलमोहर की मनोहारी छटा और फूलों का रंग सभी को अपनी ओर खींचता है।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi