जब सूरज का प्रकाश किसी चीज पर पड़ता है तो कुछ प्रकाश तो परावर्तित हो जाता है और कुछ उस वस्तु द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। अगर कोई चीज ऐसी हो जो प्रकाश को पूरी तरह अवशोषित कर ले तो वह काली दिखाई देने लगती है, जबकि अनेक ठोस और चमकीली चीजें प्रकाश को परावर्तित (रिफ्लेक्ट) कर देती हैं।
विज्ञान के अनुसार काला रंग वास्तव में कोई रंग नहीं है। बल्कि जो चीज सूर्य के प्रकाश को पूर्ण अवशोषित (ऑब्जर्व) कर ले वह काली दिखती है। बरसने वाले बादलों में पानी की असंख्य छोटी बूंदें होती हैं। ये बादल काफी घने होते हैं। ये बादल सूर्य के प्रकाश को पूर्णतः अवशोषित कर लेते हैं, इसलिए बादल हमें काले दिखाई देते हैं।
काले बादलों के कारण दिन में ही अंधेरा सा छा जाता है, क्योंकि सूर्य का प्रकाश इन बादलों द्वारा अवशोषित कर लेने से पृथ्वी तक नहीं आ पाता। प्रायः पट्टियों या टुकड़ों के रूप में चमकीले बादल हमें आसमान में दिखाई देते हैं। ये बर्फ के टुकड़े होते हैं।
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बर्फ के कण प्रकाश के लिए पारदर्शक होते हैं, इसलिए शीशे की तरह प्रकाश इनमें से आरपार हो जाता है और इस तरह ये बादल हमें चमकीले दिखते हैं।
एक बात और, ये बर्फ वाले बादल धरती से बहुत ऊंचाई पर होते हैं जबकि बरसने वाले बादल धरती के बड़े नजदीक होते हैं। पहाड़ों में बादलों को नजदीक से देखा जा सकता है।
पहाड़ों में बरसने वाले बादल खाइयों में उड़ते नजर आते हैं अर्थात हम पहाड़ पर होंगे तो बादल हमें अपने से नीचे भी नजर आएंगे, जिन्हें हम नजदीक आने पर छू भी सकते हैं।