Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

महान विभूतियों ने सदा अपनाई 'सादगी'

सिंप्लीसिटी डे विशेष

Advertiesment
हमें फॉलो करें महान विभूतियों ने सदा अपनाई 'सादगी'
सादा जीवन उच्च विचा

ND
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी हों या फिर दुनिया में भारतीय दर्शन का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद ऐसी बहुत-सी विभूतियों ने सादगी को अपनाया और जनमानस को भी ‘सादा जीवन उच्च विचार’ का संदेश दिया लेकिन आज की दुनिया में सादगी कहीं खो गई है।

रामजस कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. एसके गुप्ता कहते हैं कि आज के युग में इंसान ने बनावट की चादर ओढ़ ली है और सादगी चमक..दमक में गुम हो गई है। ऐसे बहुत से लोग हुए हैं जिन्होंने सादगी को अपनाया और कामयाबी की लाखों सीढ़ियाँ चढ़ जाने के बावजूद दिखावे को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

उनके अनुसार, अमेरिका के मशहूर लेखक कवि पर्यावरणविद इतिहासकार और दर्शनशास्त्री हेनरी डेविड थोरी को ही लीजिए जिन्होंने न सिर्फ सादगी को अपनाया बल्कि इसका संदेश देने के लिए इस पर ‘वाल्डेन’ नाम से एक किताब भी लिखी। यह पुस्तक दुनिया भर में लोकप्रिय हुई थी।

चूँकि 12 जुलाई 1817 को जन्मे थोरी ने दुनिया को ‘सादा जीवन’ जीने का संदेश दिया था इसीलिए उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में हर साल 12 जुलाई को ‘सिंप्लीसिटी डे’ मनाया जाता है।

सामाजिक कार्यकर्ता मोहन वैद कहते हैं कि मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में भी सादगी को विशेष महत्व मिला है। यदि सफलता की बुलंदियों को छूता कोई व्यक्ति सादगी अपनाता है तो वह दूसरों के लिए भी आदर्श बन जाता है। विचारकों ने कहा है कि यदि अहं से दूर होना है तो सादगी अपनाइए।

webdunia
ND
थोरी ने अपनी पुस्तक ‘वाल्डेन’ में लिखा है कि इंसान को प्रकृति के आंचल में सादगी के साथ रहना चाहिए और यह सफलता की कुंजी है। ब्रिटिश लेखक ट्रेवर गे ने अपनी सबसे पहली पुस्तक ही सादगी पर लिखी है। अक्टूबर 2004 में प्रकाशित ‘सिंप्ली सिटी’ नाम की इस पुस्तक में भी सादगी को सफलता की सीढ़ी बताया गया है।

वैद के अनुसार, इतिहास गवाह है कि सादगी के महत्व को समझकर ही बहुत सी बड़ी हस्तियों ने इसे दिल से अपनाया। फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक हेनरी फोर्ड के बारे में कहा जाता है कि वह अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेश जाते समय भी सादे कपड़े पहनते थे।

फोर्ड कहते थे कि वह अपने देश में इसलिए सादा कपड़े पहनते हैं क्योंकि वहाँ उन्हें सब जानते हैं कि वह फोर्ड हैं और विदेश में वह इसलिए सादा कपड़े पहनते हैं कि वहाँ उन्हें कोई जानता ही नहीं कि वह फोर्ड हैं। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi