साँप दो तरह के होते हैं। जहरीले और बिना जहर वाले। सभी जहरीले साँपों के सिर वाले भाग में विष बनाने वाली संरचना होती है। इस संरचना में एक जोड़ी विष ग्रंथियाँ, इनकी नलियाँ, विषदन्त और पेशियाँ होती हैं।
विष ग्रंथियों से विष सर्प के जबड़े में आता है। ये विष ग्रंथियाँ साँप के ऊपरी जबड़े में आँख के निचले हिस्से में होती है। प्रजाति के अनुसार साँप में ग्रंथियों का आकार अलग-अलग होता है।
इन दोनों ग्रंथियों में पैदा होना वाला विष नलियों के जरिए विषदन्त तक पहुँचता है। ये विषदन्त नुकीले होते हैं और सर्प अपने शिकार के शरीर में इन्हें डालकर विष पहुँचाकर उसे मार देता है।
सर्प का विष साफ और चिपचिपा, पीले और हल्के हरे रंग का द्रव्य होता है। इसकी प्रकृति अम्लीय होती है। सर्प का विष भी दो तरह का होता है। न्यूरोटॉक्सिक और हीमोटॉक्सिक।
न्यूरोटॉक्सिक विष सर्प के शिकार के शरीर में जाने पर श्वसन क्रिया संचालित करने वाली पेशियों के कामकाज को बंद कर देता है और हीमोटॉक्सिक ऊतकों का विनाश कर देता है और हेमरेज की स्थिति बना देता है।