14 अप्रैल 1944 को मुंबई बंदरगाह पर एक माल ले जाने वाले जहाज पर अचानक आग लग गई, जिसमें काफी मात्रा में रुई, विस्फोटर और युद्ध उपकरण रखे हुए थे। इस आग पर काबू पाने की कोशिश में लगभग 66 अग्निशमन कार्यकर्ता आग की भेंट चढ़ वीर गति को प्राप्त हुए। इन्हीं दिवंगत 66 अग्निशमनकर्मियों की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को अग्निशमन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष अग्निशामक दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें आग से बचाव, सावधानियां और आग लगने पर ध्यान रखने योग्य बातों को लेकर लोगों को जागरुक किया जाता है। इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य ही अग्निकांड को रोकने और बचाव के प्रति जागरुकता पैदा करना है।
भारत में आज भी कई स्थानों पर लोग अग्निकांड और इनसे होने वाली दुर्घटनाओं के प्रति उतने सजग नहीं है। कई स्थानों पर अचानक आग लग जाने की स्थिति में बचाव के संसाधन नहीं जुट पाते, तो कहीं फायर ब्रिगेड के पहुंचने से पहले अग्निकांड से काफी नुकसान हो चुका होता है। ऐसे में यदि अग्निशामक दिवस की तर्ज पर समय-समय पर व्यवस्थित तरीके से जयगरुकता अभियान चलाए जाएं, तो कई जानों को बचाया जा सकता है और आर्थिक नुकसान होने से भी बचाया जा सकता है।