चोट और कटने पर क्या सबसे पहले दिमाग में आता है और आप निश्चिंत हो जाते हैं। बैंड-एड ऐसी दवा है जो आसानी से हर घर में मिलती है और उतनी ही आसानी से आपको ठीक भी कर देती है।
इसके अलावा चोट को कीटाणु और अन्य खतरों से भी सुरक्षित रखती है। क्या आप नहीं जानना चाहेंगे कैसे आई बैंड-एड अस्तित्व में। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बैंड-एड के बनने के पीछे एक रोमांटिक कहानी है। जानिए कैसे एक प्यार की कहानी ने बैंड-एड इजाद की।
अर्ल डिक्सन जॉंसन एंड जॉंसन में काम करते थे। उनकी हाल ही में जोसेफाइन नाइट से शादी हुई थी। नवविवाहित जोड़े को थी एकदूसरे से काफी मोहब्बत। परंतु मुश्किल की बात यह थी कि बीवी को बार बार चोट लग जाती थी। कीचन का काम हो या घर की सफाई, जोसेफिन को अक्सर कट जाया करता था।
अगली मुसीबत यह थी कि काम करने में अन्य किसी प्रकार की दवाई टिक नहीं पाती थी। इससे दुखी डिक्सन को एक आइडिया आया। डिक्सन ने टेप के चौकोर पट्टियां काटीं। इन पर गॉज और दवाई लगा दी। इस तरह ऐसी पट्टी तैयार थी जो जोसेफिन को चोट लगने पर पहले से तैयार हो।डिक्सन ने ऐसी कई पट्टियां तैयार कर दीं। जॉंसन एंड जॉंसन ने इन पट्टियों के बारे में सुना। उन्हें पता लगा कि यह पट्टियां 30 सेंकड से भी कम समय में लग जाती हैं।
उन्हें यह आइडिया इतना पसंद आया कि 1924 के आते आते तक डिक्सन को कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट बना दिया गया। उन्हें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी स्थान मिला। इस दौर तक बैंड-एड सारी दुनिया में पसंद की जाने लगी थीं।