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जानिए एक नोट पर कितनी भाषाएं लिखी होती हैं और क्यों?

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- ईशु शर्मा 
 
2016 में नोटबंदी होने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने 20, 50, 100, 200, 500 और 2000 के नए नोट भारत में जारी किए थे। हम अक्सर इन नोटों का प्रयोग करते हैं, पर क्या आपने कभी इन नोटों को ध्यान से देखा है? आपने अक्सर इसमें कुछ भाषाएं छपी हुई देखी होंगी, पर क्या आप जानते हैं कि एक नोट में कितनी भाषाएं छपी हुई होती हैं और इनके छपने का कारण क्या है? 
 
चलिए जानते हैं नोट से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.... 
 
कितनी भाषाएं होती है एक नोट में? 
 
आपको बता दें कि भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार एक नोट में कुल 17 भाषाएं छपी होती हैं, जिसमें से हिंदी और अंग्रेजी भाषा नोट के सामने छपी होती हैं और बाकी 15 भाषाएं नोट के पीछे होती हैं। इन 15 भाषाओं में गुजराती, मराठी, असमी, बंगाली, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल है। 
 
दरअसल भारत में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिला है और संविधान के भाग XVII के अनुच्छेद 343 से 359 तक राजभाषा से संबंधित है, जिसमें 8वी सूची में 22 भाषाओं को दर्जा दिया गया है। 
 
कब आया था भारत का पहला नोट? 
 
भारत का पहला नोट इंग्लैंड में 30 नवंबर 1917 को छपा था, जिसमें किंग जॉर्ज V (King George V) की तस्वीर शामिल थी।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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