ind-pak crisis

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

22 जुलाई को संविधान में अपनाया गया था भारतीय ध्वज, जानिए भारत के ध्वज का इतिहास

Advertiesment
हमें फॉलो करें indian flag
, गुरुवार, 21 जुलाई 2022 (16:17 IST)
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में हमारे तिरंगे झंडे (वर्तमान) को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता मिली थी। इसे आँध्रप्रदेश के पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था।
 
भारत के ध्वज का भी एक उत्तम इतिहास है। इसमें कुल 6 बार बदलाव हुए हैं। स्वतंत्रता के पूर्व भारत में अनेक रियासतों के ध्वज थे पर पूरे भारत का ध्वज नहीं था। इन रजवाड़ों और रियासतों में बंटे भारत में तब एकता का भाव प्रदर्शित नहीं होता था जिसके एकीकरण के लिए ध्वज की आवश्यकता पड़ी। आइए जानते हैं भारत के ध्वज का इतिहास-
 
भारत का सबसे पहला ध्वज आयरिश मूल की स्वामी विवेकानन्द की शिष्या भगिनी निवेदिता ने बनाया था। यह ध्वज पीले और लाल रंग का था। इसमें बैकग्राउंड लाल रंग का था। इस पर भगवान इंद्र का हथियार 'वज्र' बना था, जो ध्वज पर ही बंगाली भाषा में लिखित वन्दे मातरम के बीच था। पीला और लाल रंग स्वतंत्रता और विजय दर्शाता था और वज्र भारत के पुरुषार्थ के रूप में चिह्नित किया गया था। यह 1905-06 में बनाया गया था।

webdunia
































2 भगिनी निवेदिता के ध्वज के कुछ समय बाद ही भारत का दूसरा ध्वज बनाया गया। इसे कलकत्ता ध्वज के नाम से जाना जाता है। इसमें नीली,पीली और लाल तीन आड़ी पत्तियां थी। सबसे ऊपर नीली पट्टी थी जिसमें पंचकोणीय तारे बने थे। बीच में पीली पट्टी थी जिसमें हिन्दी में वन्दे मातरम् लिखा था और सबसे निचली लाल पट्टी में एक ओर सूर्य और दूसरी ओर चन्द्रमा बना था। यह 1906 में ही प्रस्तावित किया गया।
webdunia











3 भारत का तीसरा ध्वज 7 अगस्त 1906 में प्रस्तावित किया गया। यह कोलकाता के पारसी बागान चौक पर विभाजन के विरोध में हुई एक रैली में फहराया गया था। इसे शचीन्द्र प्रसाद बोस और सुकुमार मित्रा ने बनाया था। इसमें हरा, पीला और लाल यह तीन रंग थे। ऊपर हरा रंग था जिसमें कमल के फूल के चिह्न थे। बीच में पीला रंग था जिसमें वन्दे मातरम लिखा था और अंत में लाल रंग था जिसके एक ओर चाँद और एक ओर सूर्य का चिह्न था। इसे गैर आधिकारिक ध्वज माना जाता है।
webdunia





















4 भारत का चौथा ध्वज वीर सावरकर, भीकाजी कामा और श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यह 22 अगस्त 1907 को जर्मनी के स्टटगर्ट स्थान पर भीकाजी कामा द्वारा फहराया गया था। यह विदेशी भूमि पर फहराया गया पहला भारतीय ध्वज था। इसमें केसरिया, पीली और हरी तीन पत्तियां थीं। सबसे ऊपर केसरिया पट्टी में 8 कमल थे, बीच में पीली पट्टी पर वन्दे मातरम लिखा था और सबसे नीचे हरी पट्टी में कोनों में सूर्य और चन्द्रमा के चिह्न थे।
webdunia



























5 पांचवे ध्वज को होम रूल ध्वज कहा जाता है। यह बालगंगाधर तिलक द्वारा प्रस्तावित किया था। तिलक की मांग थी की ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की तरह ही भारत को भी ब्रिटिश साम्राज्य में पूर्ण स्वराज्य मिले। इस ध्वज में लाल और हरे रंग की पट्टियां थी। जिसमें ऊपर एक कोने में यूनियन जैक था और दूसरी ओर चांद-तारे का चिह्न था। इस पर तारों का सप्तऋषि मंडल बना था।
webdunia


































6 भारत के छठे ध्वज को गांधी ध्वज कहा जाता है। इसे 1921 में भारत राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इस ध्वज पर सफेद, हरी और लाल रंग की पट्टियां थीं और इसके बीच में चरखा बना हुआ था। इसमें सबसे ऊपर सफ़ेद रंग शांति का, फिर हरा रंग आशा का और नीचे लाल रंग बलिदान के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया था। इसे भारत के प्रभावी धर्मों को रंगों के रूप में चिह्नात्मक कर के भाईचारे के रूप में दिखाया गया था।
webdunia

































7 भारत का सातवां राष्ट्रीय ध्वज स्वराज्य ध्वज कहलाया जो 1921 से 1947 तक फहराता रहा। इसके पहले का ध्वज कार्यकर्ताओं,नेताओं और जनता को पसंद नहीं आया और उसे एक सांप्रदायिक दृष्टिकोण दिया गया। इसके बाद उन रंगों को बदल कर केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग की पट्टियों से बदल दिया गया। यह भारत का पहला आधिकारिक ध्वज माना गया जो पिंगली वेंकैया ने बनाया था। इसके बीच में चरखे का चिह्न था जो स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक था।
webdunia














8 और अंत में ध्वज में संशोधन 1947 में हुआ। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक कमिटी का गठन हुआ था जिसे स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज चुनना था। इस कमिटी की सिफारिश पर स्वराज्य ध्वज पर चरखे के स्थान पर अशोक चक्र लगाया गया और 22 जुलाई 1947 को भारत के राष्ट्रीय ध्वज को मान्यता मिली। उस दिन से वर्तमान तक वही ध्वज भारत का नेतृत्व कर रहा है।
webdunia






















(Photo Source - Twitter)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मोटिवेशनल : दत्तात्रेय के 24 गुरुओं से आप भी ले सकते हैं प्रेरणा, जानिए प्राचीन सीख की प्रासंगिकता