पहले के समय में बच्चे घरों में कम और बाहर मैदानों में मिट्टी, धूल और कीचड़ में खेला करते थे। पर समय बदलता गया और इंडोर खेल और फिर स्मार्टफोन के गेम्स का प्रचलन हो गया। ऐसे में खेल के माध्यम से जो शारीरिक विकास और आजीवन चरित्र निर्माण होता था। वह होना कम हो गया। हम कह सकते हैं कि लोगों का अपनी जमीन से, अपनी मिटटी से जुड़े रहना समाप्त होता जा रहा। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक मुहीम छिड़ी, 'इंटरनेशनल मड डे'। 29 जून को प्रतिवर्ष यह मनाया जाता है।
कब से हुआ शुरू
वर्ष 2008 में नेपाल के बिष्णु भट्टा और ऑस्ट्रेलिया के गिलियन मैकऑलिफ ने साथ में मिलकर मनाना शुरू किया था। 3 वर्ष तक वह यूं ही मनाया जाने लगा पर आखिरकार वर्ष 2011 में 29 जून को यह औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे के साथ बिना भेदभाव के कीचड़ में खेलते हैं।
क्या है इसको मनाने का उद्देश्य
इसे मनाने का उद्देश्य मूलतः यह है कि सभी प्रकार के भेदभावों को भूलकर सभी का एक होने का सन्देश देना। साथ ही मिट्टी में खेलने के कारण शारीरिक विकास और जमीन से जुड़े रहने का सन्देश जाता है।
कैसे मनाया जाता है
इस दिन के लिए हम कह सकते हैं कि 'दाग अच्छे हैं'। इस दिन हम मिट्टी से सम्बंधित रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। मिट्टी की मूर्तियां और अनेक रचनाएं बनाना, उसमें पौधे बनाना इत्यादि। यह नेपाल में धूमधाम से मनता है। कुछ नेपाली समुदाय कीचड़ में लिप्त होकर नाच-गाना करते हैं। इसे चावल उगाने के आरम्भ में मनाया जाता है।