जीवन का प्रमुख लक्ष्य शांति और खुशी प्राप्त करना है, जिसके लिए मनुष्य निरंतर कर्मशील तो है लेकिन शांति के लिए प्रयासरत नहीं। पूरा विश्व, समस्त देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। इसी के तहत 21 सितंबर को हर साल पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। मुख्य रूप से विश्व स्तर पर शांति बनाए रखने के लिए इस दिवस को मनाए जाने पर मोहर लगी थी, परंतु वर्तमान में कहीं भी शांति के हालात नजर नहीं आते।
विश्व शांति दिवस की शुरुआत 1982 से हुई थी। 1982 से लेकर 2001 तक सितंबर माह के तीसरे मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस या विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन सन 2002 से इसके लिए 21 सितंबर की तरीख निर्धारित कर दी गई। तब से लेकर आज तक हर वर्ष 21 सितंबर के को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है।
भारत में विश्व शांति हेतु पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा पांच मूल सिद्धांत दिए गए थे, जिन्हें पंचशील के सिद्धांत कहा गया। यह पांच सिद्धांत इस प्रकार हैं - 1. एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना। 2. एक दूसरे के विरूद्ध आक्रमक कार्यवाही न करना। 3. एक दूसरे के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप न करना। 4. समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना। 5. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति में विश्वास रखना। यह पांच बिंदुओं का अमल कर पूरे विश्व में शांति कायम रखी जा सकती है।
सफेद कबूतर को शांति का दूत माना जाता है। विश्व शांति दिवस पर सफेद कबूतरों को उड़ाकर शांति का पैगाम दिया जाता है और एक दूसरे से भी शांति कायम रखने की अपेक्षा होती है।