प्लास्टिक की गहरी स्तर के निचे कभी समुंदर के उन आशियानों को देखा है जो खुद इन प्लास्टिक की बाढ़ में अपना घर ढूंढ रहे हैं। समुंदर अक्सर बाढ़ का कारण होते हैं पर आज के समय में इन समुंदर पर प्लास्टिक और कचरे की बाढ़ है। पानी की एहमियत करना हमारा ही कर्तव्य है। धीरे-धीरे मानव इस एहमियत को भूलता जा रहा है। पर भविष्य जब इतिहास पढ़ेगा तो शायद ही उस भविष्य के पास आपके किए गए प्रयासों के सबूत नहीं होंगे। बढ़ते समय के साथ जल प्रदुषण भी काफी तेज़ी से बढ़ रहा है। जल की एहमियत को देखते हुए हर साल 8 जून को वर्ल्ड ओसियन डे मनाया जाता है। चलिए इस दिवस से जुडी जानकारी के बारे में जानते हैं.........
क्या है वर्ल्ड ओसियन डे?
1992 में earth summit के दौरान ओसियन इंस्टिट्यूट ऑफ कनाडा और इंटरनेशनल सेंटर ऑफ ओसियन डेवलपमेंट द्वारा इस दिवस का प्रस्ताव रखा गया था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2008 में वर्ल्ड ओसियन डे की घोषणा की थी।
क्या है वर्ल्ड ओसियन डे 2023 की थीम?
इस साल वर्ल्ड ओसियन डे की थीम 'Planet Ocean Tides Are Changing' निर्धारित की गई है। इस थीम के ज़रिए समुंदर को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि विकास के लिए समुंदर बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता है। संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल का कहना है कि "जैसा कि हम महामारी को समाप्त करने और बेहतर निर्माण के लिए काम करते जा रहे हैं वैसे ही हमारे पास समुंदर, प्राकृतिक दुनिया के साथ आगे की जनरेशन की ज़िम्मेदारी भी है।"
वर्ल्ड ओसियन डे की ज़रूरत क्या है?
1. समुंदर धरती का 70% हिस्सा कवर करता है।
2. हर सेकंड हम जो सांस लेते हैं वो समुंदर से आती है।
3. समुंदर के ज़रिए अरबों लोगों को खाना मिलता है।
4. समुंदर दुनिया की 80% बायोडायवर्सिटी को होस्ट करता है।