World Tribal Day 9 August: विश्व आदिवासी दिवस हर साल 09 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में रहने वाले आदिवासी समुदायों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी संस्कृति, पहचान और योगदान का सम्मान करने के लिए समर्पित है।
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आइए जानते हैं कि इस दिन को क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है:
विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास: इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ
(UN) द्वारा की गई थी। दरअसल, 1982 में जिनेवा में आदिवासियों पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह
(United Nations Working Group on Indigenous Populations) की पहली बैठक हुई थी। इस बैठक में आदिवासियों के अधिकारों और उनकी समस्याओं पर गहन चर्चा की गई थी।
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इसी ऐतिहासिक बैठक की याद में, दिसंबर 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह घोषणा की कि हर साल नौ अगस्त को 'विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतरराष्ट्रीय दिवस' (International Day of the Worlds Indigenous Peoples) मनाया जाएगा। पहला विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त 1995 को मनाया गया था।
क्यों मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस? इस दिन को मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं:
1. अधिकारों की रक्षा: यह दिन दुनिया भर के आदिवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र का 'आदिवासियों के अधिकारों पर घोषणापत्र' (UNDRIP) इस बात पर जोर देता है कि उन्हें भी अन्य समुदायों के समान सम्मान और अधिकार मिलने चाहिए।
2. संस्कृति और पहचान का सम्मान: दुनिया भर में आदिवासियों की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति, भाषा, परंपरा और जीवन शैली है। यह दिन उनकी इस समृद्ध विरासत को बनाए रखने और उसका सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।
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3. जागरूकता बढ़ाना: इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में लोगों को अवगत कराया जाता है, ताकि उनके विकास के लिए काम किया जा सके।
4. पर्यावरण संरक्षण में योगदान: आदिवासियों ने सदियों से प्रकृति और पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन जिया है। इस दिन उनके पर्यावरण संरक्षण और पारंपरिक ज्ञान को भी स्वीकार किया जाता है, जो आज के समय में जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से लड़ने में बहुत उपयोगी है।
इस तरह, हम जान सकते हैं कि विश्व आदिवासी दिवस न सिर्फ एक उत्सव है, बल्कि एक ऐसा दिन है जो आदिवासियों को समाज की मुख्यधारा में लाने, उनके अधिकारों की रक्षा करने और उनकी अनूठी पहचान को बनाए रखने का संदेश देता है।
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