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अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस....

मजदूर वर्ग का दिन

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शिकागो के हे मार्केट चौराहे पर 1 मई से 4 मई 1886 के चार दिनों में घटी घटनाएं बाद में खासतौर से 1890 से दुनिया भर की मेहनतकश जनता द्वारा हर वर्ष मनाए जाने वाले मई दिवस का आधार बनी हुई हैं।

1 मई 1886 आठ घंटे काम की मांग कर रहे अमेरिकी मजदूरों के संघर्ष का ऐतिहासिक दिन था।

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शिकागो शहर के हे मार्केट चौराहे पर उनकी रोज सभाएं होती थीं। ऐसी ही एक सभा में 3 मई को पुलिस ने बिना उकसावे के अभूतपूर्व दमन किया। उसमें 6 मजदूर मारे गए।

इसके विरोध में 4 मई को हुई सभा में पुलिस और मालिकों के एजेंट ने बम फिंकवाए एक सार्जेंट व 4 मजदूर मारे गए।

इस घटना को आधार बनाकर रचे गए झूठे मुकदमे को भी अदालत में साबित नहीं किया जा सका।

इसके बावजूद 4 जुझारू मजदूर नेताओं अल्बर्ट पार्संस, आगस्ट स्पाइस, एडोल्फ फिशर तथा जॉर्ज एंगेल को 11 नवंबर 1887 को फांसी और 3 नेताओं को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।

छह वर्ष बाद उम्र कैद पाए तीनों नेताओं को रिहा कर दिया गया। इस रिहाई आदेश को जारी करते हुए मेयर ने कबूल किया कि यह सजा ही गलत थी। जिस जूरी ने फैसला सुनाया उसने पूर्वाग्रह के आधार पर ऐसा किया था।

अपने अंतिम निष्कर्म में यह दिन पूंजी के विरूद्घ श्रम की राजनीतिक कार्यवाही है न उससे ज्यादा न उससे कम।

जिस तरह शिकागो प्रसंग आधुनिक इतिहास में पूंजी का मजदूर वर्ग पर एक सुसंगठित राजनीतिक हमला है उसी तरह मई दिवस दुनिया भर के मेहनतकशों का प्रत्युत्तर है।

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